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टीवी चैनलों पर चुनाव विश्लेषण व डिबेट प्रतिबंधित

भारत निर्वाचन आयोग में चुनाव समाचारों की कड़ी निगरानी श्‍ाुरू

चुनाव आयोग ने मीडिया के लिए जारी किए कड़े दिशा-निर्देश

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 12 October 2018 02:35:12 PM

election commission of india

नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनाव के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान तक किसी भी टेलीविज़न, समाचार पत्र या सोशल मीडिया या और किसी अन्य समान माध्यम पर किसी भी प्रकार का चुनावी विश्लेषण दर्शाना पूरी तरह से निषेध किया है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि टीवी चैनलों पर पैनल वार्ता या विचार विमर्श के प्रसारण में और अन्य समाचारों और वर्तमान घटनाक्रमों से जुड़े कार्यक्रमों में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 के प्रावधानों के उलंघन और आरोप सामने आए हैं। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट और सचेत किया है कि धारा 126 में ‘चुनावी तथ्य’ को यदि किसी ऐसी सामग्री के रूपमें परिभाषित किया गया है, जिसमें किसी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने की मंशा है तो उसके प्रावधानों का उल्लंघन करना अधिकतम दो वर्ष की अवधि तक कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों रूपमें दंडनीय है।
भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी समाचार माध्यमों के लिए फिर से संबंधित एडवायजरी भी जारी की है। निर्वाचन आयोग ने एकबार फिर दोहराया है कि टेलीविज़न या रेडियो चैनल और केबल नेटवर्क यह सुनिश्चित करें कि इस दौरान उनके यहां प्रसारित या प्रदर्शित कार्यक्रमों की सामग्रियों में किसी विश्लेषक या भागीदार विचारों या अपीलों सहित उसमें शामिल कोई अन्य सामग्री धारा 126 में उल्लेखों के विपरीत न हो अर्थात खासतौर से 48 घंटे की अवधि के दौरान कोई ऐसी सामग्री शामिल न हो, जो किसी खास दल अथवा उम्मीदवार की जीत की संभावना को बढ़ावा दे अथवा चुनाव के परिणाम को प्रभावित करे। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि इस निषेध में सभी ओपनियन पोल आधारित परिणाम दर्शाना और परिचर्चाएं, विश्लेषण, दृश्य और ध्वनि संदेश शामिल हैं। इसी संबंध में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 ए की ओर भी ध्यान देना जरूरी है, जिसमें एक्जिट पोल दर्शाने और प्रथम चरण में मतदान शुरू होने और अंतिम चरण में मतदान समाप्त होने के बाद आधे घंटे तक की निर्धारित अवधि के दौरानसभी राज्यों में चुनावों के मौजूदा दौर के संदर्भ में उनके परिणामों को प्रचारित करने पर सख्त रोक लगाई गई है।
निर्वाचन आयोग ने कहा ‌है कि धारा 126 अथवा 126 ए में जो अवधि शामिल नहीं है, उसके दौरान संबंधित टेलीविज़न, रेडियो, केबल, एफएम चैनल प्रसारण संबंधी किसी कार्यक्रम के संचालन के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के उद्देश्य से राज्य, जिला, स्थानीय प्राधिकरण के पास जाने के लिए स्वतंत्र हैं, जोकि शालीनता, साम्प्रदायिक सदभाव आदि के संबंध में केबल नेटवर्क अधिनियम के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा निर्धारित आदर्श आचार संहिता और कार्यक्रम संहिता के प्रावधानों के अनुसार हो। संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी या जिला निर्वाचन अधिकारी ऐसी अनुमति प्रदान करते समय कानून व्यवस्था की स्थिति सहित सभी संबंधित पहलुओं का ध्यान रखेंगे, जहां तक राजनीतिक विज्ञापनों का संबंध है, इसके लिए आयोग की आदेश संख्या 509/75/2004/जेएस-I दिनांक 15 अप्रैल 2004 के अनुसार राज्य या जिला स्तरपर निर्धारित समितियों से प्रसारणपूर्व प्रमाणन की आवश्कता है। निर्वाचन के दौरान मुद्रित समाचार माध्यमों की अनुपालना के लिए भारतीय प्रेस परिषद के 30 जुलाई 2010 को जारी मार्गनिर्देशों की ओर भी ध्यान देना जरूरी है, जिनमें चुनावों और उम्मीदवारों के बारे में निष्पक्ष रिपोर्ट देना प्रेस का कर्तव्य होगा।
निर्वाचन आयोग ने समाचारपत्रों से उम्मीद की है कि वे चुनाव अभियान के दौरान पक्षपातपूर्ण चुनाव अभियानों में शामिल नहीं होंगे, वे किसी उम्मीदवार या राजनीतिक पार्टी अथवा घटना के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करेंगे। आयोग का कहना है कि व्यवहारिक तौर पर देखा गया है कि दो अथवा तीन कांटे की टक्कर वाले उम्मीदवार सभी समाचार माध्यमों का ध्यान आकर्षित करते हैं, वास्तविक अभियान पर आधारित रिपोर्टिंग करते समय कोई समाचार पत्र किसी उम्मीदवार द्वारा उठाए गए किसी महत्वपूर्ण बिंदु की उपेक्षा नहीं कर सकता और उसके अथवा उनके विरोधी की कोई आलोचना नहीं कर सकता। निर्वाचन नियमावली के अनुसार सांप्रदायिक अथवा जातिगत आधार पर चुनाव अभियान चलाना प्रतिबंधित है, इसलिए पत्र-पत्रिकाओं को ऐसी रिपोर्टों से परहेज करना चाहिए जो धर्म, प्रजाति, जाति, समुदाय अथवा भाषा के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी अथवा घृणा की भावना को बढ़ावा देती हों। पत्र-पत्रिकाओं को किसी उम्मीदवार के व्यक्तिगत चरित्र अथवा आचार के बारे में अथवा किसी उम्मीदवार की उम्मीदवारी अथवा नाम वापसी अथवा उसकी उम्मीदवारी के संबंध में कोई असत्य अथवा आलोचनात्मक व्यक्तव्य प्रकाशित करने, चुनाव में उस उम्मीदवार की संभावना से जुड़े पूर्वाग्रह पर आधारित रिपोर्ट प्रकाशित करने से बचना चाहिए।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूपसे कहा है कि चुनाव के दौरान पत्र-पत्रिकाएं किसी उम्मीदवार या पार्टी के विरूद्ध आरोपों को सत्यापित किए बिना कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करेंगी, पत्र-पत्रिकाएं किसी उम्मीदवार या पार्टी के प्रचार के लिए किसी प्रकार का लाभ, वित्तीय अथवा डग्गा स्वीकार नहीं करेंगी या उनसे आतिथ्य अथवा कोई अन्य सुविधाएं स्वीकार नहीं करेंगी। पत्र-पत्रिकाओं से किसी खास उम्मीदवार या पार्टी की सिफारिश करने में शामिल होना अपेक्षित नहीं है, यदि यह ऐसा करते हैं तो इससे अन्य उम्मीदवार या पार्टी को उत्तर देने के अधिकार को अनुमति मिलेगी। पत्र-पत्रिकाएं सत्ताधारी पार्टी या सरकार की उपलब्धियों के बारे में सरकारी खजाने के खर्च पर कोई विज्ञापन स्वीकार या प्रकाशित नहीं करेंगी। पत्र-पत्रिकाएं निर्वाचन आयोग या निर्वाचन अधिकारी अथवा मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से समय-समय पर जारी सभी निर्देशों, आदेशों, दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ध्यान भी एनबीएसए द्वारा दिनांक 3 मार्च 2014 को जारी ‘चुनाव प्रसारण मार्गनिर्देश’ की ओर आकृष्ट किया गया है।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि समाचार प्रसारक संबंधित चुनावी मामले, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों अभियान के मुद्दे और मतदान प्रक्रियाओं के बारे में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और भारत निर्वाचन आयोग की नियमावली तथा नियमनों के अनुसार निष्पक्ष रूपमें लोगों को सूचित करने का प्रयास करेंगे। समाचार चैनल किसी पार्टी अथवा उम्मीदवार के बारे में किसी राजनीतिक संबद्धता का खुलासा करेंगे। विशेष रूपसे चुनाव के बारे में रिपोर्ट करते समय संतुलित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग करना समाचार प्रसारकों का कर्तव्य है। समाचार प्रसारकों को किसी खास राजनीतिक दलों अथवा उम्मीदवारों से सरोकार रखने वाले सभी प्रकार की अफवाहों, आधारहीन अनुमानों और गलत सूचना से बचने का प्रयास करना चाहिए, यदि किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को बदनाम किया गया हो अथवा गलत रूपसे पेश किया गया हो, गलत सूचना दी गई हो अथवा प्रसारक की सूचना द्वारा किसी अन्य रूपमें नुकसान पहुंचाया गया हो तो शीघ्र उसमें सुधार करना होगा और उसको समुचित उत्तर देने का अवसर देना होगा। समाचार प्रसारकों ऐसे सभी राजनीतिक वित्तीय दबावों से बचना चाहिए, जिससे चुनाव और संबंधी मामले का करवेज प्रभावित हो। समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों पर प्रसारित संपादकीय और विशेषज्ञों की राय के बीच स्पष्ट अंतर कायम रखना चाहिए। ऐसे समाचार प्रसारक जो राजनीतिक दलों से प्राप्त दृश्य सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, वे उन्हें इसकी घोषणा करनी चाहिए और उसे समुचित रूप से चिन्हित करना चाहिए।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए कि चुनावों और चुनाव संबंधी सामग्रियों से जुड़े समाचारों या कार्यक्रमों का प्रत्येक हिस्सा घटनाओं, तिथियों, स्थानों और उद्धरणों से जुड़े सभी तथ्य सही-सही हों, यदि गलती से अथवा असावधानी से कोई गलत सूचना प्रसारित हो जाए तो जितनी जल्दी संभव हो, संज्ञान मिलने के साथ ही उसे शुद्ध करना चाहिए। समाचार प्रसारकों, उनके पत्रकारों और अधिकारियों को कोई धन अथवा उपहार अथवा कोई अन्य प्रलोभन स्वीकार नहीं करना चाहिए, जिससे प्रसारक अथवा उनके कर्मचारी प्रभावित होते हैं अथवा प्रभावित होते दिखाई पड़ते हैं, हितों का कोई टकराव हो अथवा विश्वसनीयता प्रभावित हो। समाचार प्रसारकों को किसी रूपमें घृणा पैदा करना वाला वक्तव्य अथवा कोई आपत्तिजनक सामग्री प्रसारित नहीं करना चाहिए, जिससे हिंसा फैले अथवा लोगों के बीच उपद्रव अथवा गड़बड़ी को बढ़ावा मिले, क्योंकि निर्वाचन कानूनों के तहत सामुदायिक अथवा जाति गत आधार पर चुनाव अभियान प्रतिबंधित है। समाचार प्रसारकों के लिए यह जरूरी किया गया है कि वे स्पष्ट तौर पर ‘समाचारों’ और ‘भुगतान आधारित सामग्री’ के बीच स्पष्ट अंतर कायम रखें। भुगतान आधारित सभी सामग्रियों को स्पष्ट रूपसे ‘विज्ञापन’ अथवा ‘भुगतान सामग्री’ के रूप में चिन्हित करें। यह ध्यान रहे कि भुगतान आधारित सामग्री का प्रसारण भी दिनांक 24 नवम्बर 2011 को जारी ‘भुगतान आधारित समाचारों के बारे में मानदंड और मार्गनिर्देश’ के अनुसार हो।
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि ओपिनियन पोल के बारे में रिपोर्ट करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि वे सही और निष्पक्ष हों और दर्शकों के लिए इस बात का खुलासा होना चाहिए कि इन ओपिनियन पोलों के लिए शुरूआत, संचालन और भुगतान किसने किए। भारत निर्वाचन आयोग चुनावों की घोषणा के समय से लेकर उसकी समाप्ति और चुनाव परिणामों की घोषणा होने तक समाचार प्रसारकों की प्रसारणों निगरानी करेगा। निर्वाचन आयोग शिकायतों पर नियमनों के अधीन कार्रवाई करेगा। आयोग ने अपेक्षा की है कि जहां तक संभव हो प्रसारक मतपत्र की गोपनीयता के बारे में मतदाताओं को प्रभावी तौरपर शिक्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाएं। निर्वाचन आयोग का विधिक संदेश है कि समाचार प्रसारकों को कोई अंतिम, औपचारिक और निश्चित परिणाम प्रसारित नहीं करना चाहिए जबतक कि निर्वाचन अधिकारी ने ऐसे परिणामों की औपचारिक घोषणा न की हो, तथापि ऐसे परिणामों को इस स्पष्ट घोषणा के साथ दर्शाना चाहिए की वे गैर अधिकारिक अथवा अपूर्ण अथवा अनुमान पर आधारित हैं, जिन्हें अंतिम परिणामों के रूप में नहीं लेना चाहिए। भारत निर्वाचन आयोग ने हिदायत के साथ कहा है कि सभी संबंधित समाचार माध्यम चुनाव आयोग के मार्गनिर्देशों का विधिवत अनुपालन सुनिश्चित करें। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 12 नवम्बर 2018 और 20 नवम्बर 2018 को, मध्य प्रदेश और मिजोरम में 28 नवम्बर 2018 को और राजस्थान तथा तेलंगाना में 7 दिसम्बर 2018 को मतदान होंगे।

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