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Saturday 10 November 2018 04:15:51 PM
पेरिस/ नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत अनंतकाल से शांति और अहिंसा की एक सशक्त आवाज़ रहा है। वे फ्रांस की राजधानी पेरिस में भारतीय समुदाय की ओर से यूनेस्को में आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर फ्रांस में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति ने शांति को प्रगति की एक मात्र शर्त बताते हुए कहा कि आज के परस्पर निर्भर विश्व में प्रगति केवल संवाद और आपसी समझ से ही हासिल की जा सकती है। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उद्योग, कृषि, कला, संस्कृति, शासन या राजनीति के क्षेत्र में भारतीय समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह योगदान फ्रांस के साथ ही अपने देश भारत के लिए भी गर्व की बात है।
भारतीय समुदाय की उपलब्धियों पर भारत को गर्व होने की बात करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि भारतीय समुदाय के साथ संवाद करना आपस में गहरे जुड़े परिवार के साथ संवाद करने जैसा है। उन्होंने कहा कि यहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने फ्रांस के जनजीवन से जुडे़ कई क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की है, इनमें से कई फ्रांस और यूरोपीय संसद में सांसद भी हैं। उपस्थित लोगों को फ्रांस के साथ भारत के दीर्घकालीन और परस्पर समृद्ध सहयोग की याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि रबिंद्रनाथ टैगोर के विचारों से कई फ्रांसीसी विचारक भी प्रभावित हुए थे। उन्होंने कहा कि मैडम भीकाजी कामा और जेआरडी टाटा जैसे भारतीय इतिहास की दिग्गज हस्तियों के भी फ्रांस के साथ घनिष्ठ संबंध थे। सरकार के साहसिक सुधारों के एजेंडे से देश के अकादमिक परिदृश्य में बड़े बदलाव का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विकास यात्रा आशाओं और नए बदलावों से गुजर रही है, यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है, जब इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों सहित बाकी दुनिया मंदी का सामना कर रही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि माल और सेवाकर का लागू किया जाना निर्बाध और कुशल राष्ट्रीय बाजार की दिशा में एक बड़ा कदम था, इससे भारत में व्यवसाय स्थापित करने और उसे बढ़ाने में आसानी होगी। वेंकैया नायडू ने भारतीय समुदाय से न्यू इंडिया के निर्माण में सक्रिय भागीदार बनने का आह्वान किया और उनसे भारत में निवेश और नवाचार के लिए उपयुक्त अवसरों का लाभ उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय समुदाय के लिए सक्रिय रूपसे अपनी जड़ों से जुड़ने का भी यह सही समय है। उपराष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत और फ्रांस के संयुक्त प्रयासों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि विकास में भारत और फ्रांस की साझेदारी दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूपसे स्मार्ट शहरीकरण और परिवहन के क्षेत्र में बहुत लाभकारी साबित हुई है। उपराष्ट्रपति ने यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अज़ौले के साथ भी बातचीत की और उन्हें 2030 के सतत विकास एजेंडे को हासिल करने के भारत के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने इस संदर्भ में शिक्षा क्षेत्र में प्रयासों का विशेष रूपसे जिक्र किया।
वेंकैया नायडू ने इस अवसर पर शिक्षा तक पहुंच को आसान बनाने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग, शिक्षण प्रक्रिया और शिक्षक विकास कार्यक्रमों की गुणवत्ता में वृद्धि, शैक्षणिक योजना और प्रबंधन को सुदृढ़ करने एवं निगरानी प्रणाली में सुधारों पर भी चर्चा की। उपराष्ट्रपति प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के शताब्दी वर्ष समारोह में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस में हैं। वह आर्क द ट्रिंफ पर आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे और प्रथम विश्व युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। वेंकैया नायडू विलर्स गुसलेन में भारतीय सशस्त्र बलों के एक स्मारक का भी उद्घाटन करेंगे। यह स्मारक उन हजारों भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में यहां शहादत दी थी। उपराष्ट्रपति की यह यात्रा काफी अहम है, क्योंकि यह ऐसे समय हो रही है, जब इस साल भारत और फ्रांस अपनी रणनीतिक साझेदारी के दो दशक पूरे कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति फ्रांस गणराज्य की सरकार के निमंत्रण पर 9 से 11 नवंबर 2018 तक पेरिस में प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के शताब्दी वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान सबसे अधिक सैनिक योगदान करने वालों में भारत शामिल है। उपराष्ट्रपति का पेरिस जाना आर्मिस्टिस सेंटेनेरी समारोह में भारत की भागीदारी वैश्विक शांति एवं सुरक्षा में भारत के ऐतिहासिक योगदान को रेखांकित करते हुए उन सैनिकों के बलिदानों के लिए उचित श्रद्धांजलि होगी। इस शताब्दी समारोह पर आयोजित कार्यक्रमों में 50 से अधिक देशों के राज्य प्रमुख, सरकार प्रमुख और उनके प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उपराष्ट्रपति 11 नवंबर को आर्क डि ट्रायम्फे पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुअल मैक्रॉन की अध्यक्षता में आयोजित प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के शताब्दी समारोह में भाग लेंगे। आर्मिस्टिस सेंटेनेरी के हिस्से के तौर पर फ्रांस सरकार पेरिस पीस फोरम की मेजबानी भी कर रही है, जिसका आयोजन पेरिस में 11-13 नवंबर 2018 के दौरान होगा। पेरिस पीस फोरम का उद्देश्य बहुपक्षवाद, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक शासन संस्थानों में सुधार के महत्व की पुष्टि करने के लिए एक वैश्विक मंच स्थापित करना है। नागरिक समाज की पहल पर विशेष जोर देते हुए चर्चा एवं परिचर्चा करने, अनुभव साझा करने और शासन में शामिल सभी हितधारकों के लिए नवोन्मेषी समाधान तलाशने के लिए यह एक मंच प्रदान करता है।
पेरिस पीस फोरम की परिकल्पना पांच प्रमुख क्षेत्रों-शांति एवं सुरक्षा, पर्यावरण, विकास, नई प्रौद्योगिकी एवं समावेशी अर्थव्यवस्था में शासन संबंधी समाधान को बढ़ावा देने के लिए हर साल आयोजित होने वाले वार्षिक कार्यक्रम के तौर पर की गई है। उपराष्ट्रपति 'डायलॉग ऑफ द कंटीनेंट्स ऑन ग्लोबल गवर्नेंस' विषय पर आयोजित उच्चस्तरीय पैनल परिचर्चा को संबोधित करेंगे। उपराष्ट्रपति ने विलेर्स गुइस्लेन में इंडियन वार मेमोरियल का उद्घाटन भी किया। भारत ने प्रथम विश्वयुद्ध में फ्रांस की स्वतंत्रता के लिए अविभाजित भारत के सैनिकों के योगदान को उजागर करने के लिए पेरिस से करीब 200 किलोमीटर दूर विलेर्स गुइस्लेन शहर में इस युद्ध स्मारक का निर्माण किया है। उपराष्ट्रपति महापौर कार्यालय के पीछे 'द मैरी हॉल' में एक स्वागत समारोह में भाग लेंगे। वे प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका को प्रदर्शित करने के लिए इंडियन वार मेमोरियल में आयोजित एक प्रदर्शनी को भी देखेंगे।