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Wednesday 14 November 2018 02:47:24 PM
नई दिल्ली। भारत और मोरक्को के बीच हुए दीवानी एवं वाणिज्यिक अदालतों में पारस्परिक कानूनी सहायता और ज्यादा बढ़ाने से संबंधित समझौते पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत सरकार में केंद्रीय विधि न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद और मोरक्को में उनके समकक्ष न्यायमंत्री मोहम्मद औज्जर ने कहा है कि भारत-मोरक्को में आपसी सहयोग का दायरा बढ़ा है और दोनों ही देश दीवानी एवं वाणिज्यिक मामलों में सहयोग के पहलुओं का विस्तार करने की सार्थकता को पूरा करने पर विश्वास करते हैं। प्रस्तावित समझौते में सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों या प्रक्रियाओं पर तामील, दीवानी मामलों में साक्ष्य लेना, दस्तावेजों, रिकॉर्डिंग को प्रस्तुत, पहचान और जांच करना, दीवानी मामलों में साक्ष्य लेने के लिए अनुरोध पत्र पर तामील और पंच निर्णायकों के पंचाट को स्वीकार एवं कार्यांवित करना प्रमुख रूपसे शामिल है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और मोरक्को के न्याय मंत्रालय के बीच आधुनिकीकरण के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के क्षेत्र में सहयोग संबंधी आशय के एक संयुक्त घोषणा पत्र पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य एक साधन के रूपमें आईटी का उपयोग कर अदालतों के आधुनिकीकरण सहित ई-गवर्नेंस को सुदृढ़ करना है, ताकि सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों के आदान-प्रदान, पदाधिकारियों एवं विशेषज्ञों के क्षेत्रीय दौरों और दोनों ही पक्ष संयुक्त रूपसे निर्धारित अन्य साधनों के जरिए दोनों देश पारस्परिक रूपसे लाभांवित हो सकें। ज्ञातव्य है कि भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग ने मोरक्को के कासाब्लांका में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े एक उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की थी, जिसका उद्घाटन 7 मई 2018 को किया गया था। इसमें 193 विद्यार्थी हैं और 10 विद्यार्थियों का प्लेसमेंट निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में पहले ही हो चुका है।
भारत और मोरक्को में कानूनी सहायता समझौता दोनों ही देशों के नागरिकों के लिए लाभप्रद साबित होगा। इससे दीवानी एवं वाणिज्यिक मामलों में मैत्रीपूर्ण एवं सार्थक सहयोग को मजबूत करने से संबंधित दोनों देशों की प्रबल इच्छा की भी पूर्ति होगी, जो समझौते की मूल शैली, भावना एवं सार है। रविशंकर प्रसाद और मोहम्मद औज्जर ने भारत-मोरक्को के 14वीं शताब्दी से जुड़े ऐतिहासिक संदर्भों पर बातचीत की, जब टैंगियर के प्रसिद्ध यात्री एवं लेखक इब्न बतूता ने भारत की यात्रा की थी। मध्ययुगीन भारतीय समाज पर उनके लेखन भारतीयों के साथ-साथ मोरक्को के नागरिकों के लिए भी भारत से जुड़ी ऐतिहासिक सूचनाओं के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
भारत मोरक्को के स्वतंत्रता आंदोलन को अपनी ओर से संयुक्तराष्ट्र में समर्थन प्रदान करने में अत्यंत सक्रिय रहा था और इसके साथ ही भारत ने 20 जून 1956 को उस समय मोरक्को को मान्यता प्रदान की थी, जब वह फ्रांस के साथ की गई संरक्षित व्यवस्था से आजाद हो गया था। इसके साथ ही वर्ष 1957 में राजनयिक मिशन स्थापित किए गए थे। आपसी संबंधों के आगाज के समय से ही भारत-मोरक्को के बीच सौहार्दपूर्ण एवं मैत्रीपूर्ण रिश्ते कायम हैं। समय-समय पर भारत-मोरक्को के गणमान्य व्यक्ति एक-दूसरे के यहां दौरे पर जाते रहे हैं। मोरक्को का दौरा करने वाले भारत के गणमान्य व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन और विधि एवं न्यायमंत्री रविशंकर प्रसाद भी शामिल हैं।