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Friday 23 November 2018 04:07:19 PM
बीजिंग/ कराची। पाकिस्तान के शहर कराची में चीन के दूतावास पर हमले से चीन दहल उठा है और पाकिस्तान में किसी की भी जानमाल की सुरक्षा करने में विफल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शर्मनाक तरीके से कहते हैं कि हम इस हमले की निंदा करते हैं। ज्ञातव्य है कि इस्लामिक आतंकवादियों के शरणगाह के रूपमें दुनियाभर में कुख्यात भूखे-नंगे पाकिस्तान की चीन सरकार ने हाल ही में लाखों करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की है। यद्यपि यह हमला पाकिस्तान में हुआ है, तथापि इस हमले ने चीन को हिलाकर रख दिया है और अब चीन सरकार के सामने पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा भी एक चुनौती बन गई है। इस हमले का उद्देश्य चीन दूतावास के अधिकारियों को बंधक बनाकर मारने और चीन के मुस्लिम बाहुल्य प्रांत शिनझियांग में चरमपंथी मुसलमानों पर पाबंदियां हटाने और उन्हें जेलों से छुड़ाना समझा जाता है।
पाकिस्तान की घटना विश्व समुदाय में यह संदेश दे रही है कि पाकिस्तान में चीनी नागरिकों की भी जानमाल की सुरक्षा संभव नहीं है, यह देश अब किसी भी प्रकार के आवागमन के लिए खतरे से खाली नहीं है, क्योंकि यहां पर सबसे सुरक्षित चीनी दूतावास भी सुरक्षित नहीं है, अब देखना है कि पाकिस्तान क्या सफाई देता है। कराची में एक के बाद एक पहला हमला चीनी दूतावास पर हुआ, जिसमें सुरक्षाबलों ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया, इसके बाद खैबर पख्तूनख्वा के हांगू इलाके में जबरदस्त ब्लास्ट हुआ, जिसमें करीब तीन दर्जन लोगों के मारे जाने की सूचना है। इस घटना की भारत और चीन ने कड़ी निंदा की है। बताया जाता है कि कराची के क्लिफटन इलाके में चीनी दूतावास के बाहर आतंकवादियों ने सुरक्षा गार्ड्स पर अंधाधुंध गोलियां बरसाकर चीनी दूतावास में घुसने की कोशिश की थी, आतंकवादियों ने हथगोला भी फेंका था, जिससे दूतावास के गेट को नुकसान पहुंचा। यदि ये आतंकवादी चीनी दूतावास में घुस जाते तो इसकी कितनी कीमत चुकानी पड़ती, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
चीन के मुस्लिम बहुल प्रांत शिनझियांग में मुसलमानों की धरपकड़ तेज कर दी गई है। यह भी स्पष्ट है कि यहां मुसलमानों को आपराधिक मामलों में ज्यादा सजा मिलती है। शिनझियांग में धार्मिक आयोजनों के खिलाफ कठोर कानून बनाने के बाद से मुसलमानों की गिरफ्तारियों और उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई में काफी बढ़ोतरी हुई है। शिनझियांग में आपराधिक मामले दर्ज करने का अनुपात भी बढ़ा है। चीन में सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इस्लामिक चरमपंथियों के रूपमें चिन्हित वेबसाइट भी या तो पाबंद हैं या फिर कड़ी निगरानी में हैं। कहा जा सकता है कि मुसलमानों पर जितनी पाबंदी चीन लगा चुका है, उतनी पाबंदियां भारत में नहीं हैं। चीन में कोई भी इस्लामिक साहित्य सार्वजनिक रूपसे नहीं बांटा जा सकता, यहां तककि मुसलमानों के लिए पवित्र कुरान भी मुसलमानों से जमा करवाई जा रही हैं। चीन में चरमपंथी प्रचार सामग्री पर सख्ती से पाबंदी लगी है और यहां ऐसे व्यक्तियों के लिए यातना का स्तर भी अब काफी भयानक माना जाता है।
चीन सरकार ने इस्लामिक चरमपंथ के ख़िलाफ़ वीगर मुस्लिमों पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए हैं जैसे-असामान्य रूपसे लंबी दाढ़ी नहीं रख सकते, सार्वजनिक रूपसे बुर्का तो प्रतिबंधित है ही। सुनने में आया है कि अब मुसलमानों के रीतिरिवाज़ भी पाबंदी के दायरे में लिए जा रहे हैं और यह सब इसलिए है कि इस्लाम की नई पहचान इंसानियत के नए दुश्मन के रूपमें सामने आ रही है। दुनियाभर में इस्लामिक आतंकवाद के हमलों से सबक सीखते हुए चीन इससे अपनी तरह से निपट रहा है। ज्ञातव्य है कि चीन एक नास्तिक देश है। चीन में छोटा मक्का कहे जाने वाले पश्चिमी चीन के मुस्लिम बाहुल्य प्रांत लिंक्शिया में भी मुसलमानों के दिन आसान नहीं रहे हैं। चीन में मदरसों के बुरे हाल हो चुके हैं। यहां 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की मनाही है। कहते हैं कि जिस मस्जिद में एक हजार से ज्यादा बच्चे कुरान सीखने आया करते थे, अब वहां बच्चों के आने की आजादी नहीं है। चीन सरकार शिनझियांग प्रांत में धार्मिक उन्माद और अलगाववाद पर कड़ी कार्रवाई कर रही है।
पाकिस्तान के कराची में चीनी दूतावास पर हमले के बाद चीन में मुसलमानों पर और भी कड़ी पाबंदियों की संभावना बढ़ गई है। चीन सरकार ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों से आवागमन में सावधानी बरतने को कहा है। गौरतलब है कि चीन ने जबसे अपने यहां कुछ मुस्लिम अतिवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है, तबसे पाकिस्तान के आतंकवादी गुट बौखलाए हुए हैं। कराची में चीनी दूतावास पर हमला सुबह के समय हुआ बताते हैं, जिसमें पाकिस्तान के ही इस्लामिक आतंकवादियों का हाथ माना जा रहा है। यह भी गौरतलब है कि एक समय चीन भी इस्लामिक आतंकवादियों पर काफी नरम था, लेकिन खासतौर से ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तानी सैन्य क्षेत्र में अमरीकी छापे में मारे जाने के बाद से चीन भी सर्तक हुआ है, लेकिन जब इस्लामिक आतंकवादियों ने चीन के जीवन में भी आतंकवाद घोलने की वारदातें अंजाम दी हैं, तबसे चीन बौखलाया हुआ है और अपने यहां इस्लामिक आतंकवाद के शरणदाताओं के खिलाफ भयानक कार्रवाई कर रहा है। भारत में आतंकवादी गतिविधियों पर चीन हमेशा खामोश रहा है, मगर चीन में भी जब उसी आतंकवाद की आग लगी तो पिछले दिनों चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री भारत आए और उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने इस्लामिक आतंकवाद के प्रसार पर भारत के साथ रणनीति बनाने का प्रस्ताव किया। भारत चीन के इस प्रस्ताव से सहमत हुए हैं और दोनों देशों ने कुछ सुरक्षात्मक सहयोग के निर्णय लिए हैं, जो इस्लामिक आतंकवादियों को हतोत्साहित करते हैं।
चीनी दूतावास पर हमले के संबंध में इस्लामिक आतंकवादी संगठनों के अपुष्ट दावे भी सामने आए हैं, जिनमें कहा गया है कि उन्होंने चीन को सबक सिखाने के मकसद से ऐसा किया है। एक संगठन ने सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी भी दी है। वह जानकारी कितनी सच है उसकी पुष्टि नहीं हो रही है। बताया जा रहा है कि चीनी दूतावास पर हमले के वक्त दूतावास में करीब 21 चीनी लोग मौजूद थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस बीच मीडिया से कहा बताते हैं कि पाकिस्तान और चीन के बीच की दोस्ती कई लोगों की आंखों में खटकती है, लेकिन कोई कितनी भी कोशिश कर ले यह दोस्ती जारी रहेगी। शाह महमूद कुरैशी ने इस सवाल पर चुप्पी मार दी कि चीन सरकार भी अपने मुस्लिम बाहुल्य प्रांत में इस्लामिक चरमपंथियों की विध्वंसक गतिविधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है। उनका कहना था कि पाकिस्तान की कार्रवाई से चीन संतुष्ट है और वे जल्दी ही इस बारे में चीन के विदेश मंत्री से बात भी करेंगे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीनी दूतावास पर हमले को विफल करने के लिए कराची पुलिस और रेंजर्स के असाधारण साहस की प्रशंसा की है और कहा है कि उन्हें देश के जवानों की बहादुरी पर गर्व है। इमरान खान कहते हैं कि यह हमला पाकिस्तान और चीन की दोस्ती तोड़ने की साजिश है, लेकिन हमारी दोस्ती हिमालय से भी ऊंची और समुद्र से भी गहरी है। भारत ने भी बयान जारी करके हमले की निंदा और मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की है।