स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 24 November 2018 05:42:33 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि किसने सोचा था कि बर्लिन की दीवार गिर सकती है? इसी प्रकार शायद गुरुनानकजी के आशीर्वाद से करतारपुर कॉरिडोर सिर्फ कॉरिडोर नहीं है, जन-जन को जोड़ने का एक बहुत बड़ा कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि करतारपुर गलियारे के निर्माण का जो निर्णय सन 1947 में हुआ सो हुआ, कुछ ऐसी बातें हों जो शायद सरकारों और सेनाओं उसके बीच हुई होंगी, उनके रास्ते कब निकलेंगे वो समय ही बताएगा, लेकिन यह कदम भविष्य में जन-जन के जुड़ाव की एक ताकत है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मै मानता हूं कि करतारपुर कॉरिडोर के लिए गुरुनानकजी का आदेश और आशीर्वाद है। नरेंद्र मोदी गुरु नानक देव की जयंती पर अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल के निवास पर आयोजित गुरूपर्व कार्यक्रम में आए थे। उन्होंने कीर्तन सुनते हुए गुरूपर्व की अनेकानेक शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि यह गुरुनानक देवजी का आशीर्वाद है, महान गुरु परंपरा का आशीर्वाद है कि जिसके कारण मेरे जैसे एक सामान्य व्यक्ति के हाथों से कुछ अच्छे पवित्र कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, इसलिए जो कुछ भी अच्छा हो रहा है वो इन्हीं गुरुजनों और संतजनों के आशीर्वाद के कारण है। उन्होंने कहा कि हम लोग कुछ नहीं हैं, इसलिए सम्मान का अधिकारी मैं नहीं हूं, सम्मान के अधिकारी वे सभी महापुरुष हैं, वे सभी गुरुजन हैं, जिन्होंने सदियों से त्याग, तपस्या की महान परंपरा के साथ इस देश को बनाया है और इस देश को बचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा यह भी सौभाग्य रहा है कि गुजरात में मुख्यमंत्री बनने के बाद और उसके पहले जब गुजरात में भंयकर भूकंप आया था तो कच्छ के लखपत में जहां गुरुनानक देवजी रहे थे, जहां आज भी गुरुनानक देवजी की पादुकाएं हैं, वहां भूकंप के कारण सब ध्वस्त हो गया था, जब मैं मुख्यमंत्री बनकर वहां गया तो मेरे सामने पहला काम कच्छ के भूकंप पीड़ितों के लिए पुर्ननिर्माण का था।
नरेंद्र मोदी ने बताया कि मैं कच्छ में ध्वस्त हुए गुरुद्वारे पर गया और उसी समय उनके आशीर्वाद के साथ मुझे आदेश हुआ कि क्या करना है और वहां पर पुर्ननिर्माण का निर्णय किया, लेकिन ये चिंता थी कि वहां जैसा था, जिस प्रकार की मिट्टी से बना था, उसके योग्य लोगों को ढूंढा जाए, उसी मिट्टी से बनाया जाए और उसी प्रकार उसका पुर्ननिर्माण किया गया, आज वह स्थान वर्ल्ड हेरिटेज में अपनी जगह बना चुका है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार हमने उड़ान योजना से हवाई सफर सस्ता करने की योजना बनाई तो शुरुआत नांदेड साहिब से की गई, मेरा सौभाग्य रहा नांदेड साहिब का मुझ पर आशीर्वाद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे कई वर्ष तक पंजाब में काम करने का मौका मिला और उसके कारण जो कुछ में गुजरात रहकर नहीं समझ पाता था, वह पंजाब में लोगों के बीच रहकर, बादल साहब के परिवार के निकट रह करके जाना समझा। उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा अनुभव किया है कि गुजरात और पंजाब का विशेष नाता है, क्योंकि जो पहले पंच प्यारे थे उनमें से एक गुजरात से द्वारिका के ही थे, इसलिए द्वारिका जामनगर जिले में पड़ती है, वहां हमने गुरु गोविंद सिंह के नाम से एक बहुत बड़ा अस्पताल बनाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि क्योंकि कल्पना यही रही है कि देश के हर कोने में महापुरुषों ने हमारे देश के लिए एकता के मंत्र दिए हैं और गुरुनानक देवजी के संदेशों में तो हमारे देश की पूरी सांस्कृतिक परंपराओं का निचोड़ है जो हमें गुरुबाणी में मिलता है, उन्हें हम अनुभव कर सकते हैं, हम अपनापन महसूस कर सकते हैं, वे हर शब्द में सरल रूपसे हमारे लिए मार्गदर्शक थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने ऊंच-नीच का भेद, समाज की जो कठिनाईयां थीं, बुराईयां थीं, उनको सरल ढंग से हल किया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऊंच-नीच का भाव खत्म हो, जातिवाद का भेदभाव खत्म हो, एकता के सूत्र में बंधे हुए हों, ईश्वर के प्रति श्रद्धा सम्मान भाव से हो तो हरचीज और ऐसी महान परंपरा हम सबको प्ररेणा देती रहेगी। उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता के लिए गुरुबाणी, गुरु नानकजी के आदेश-संदेश से बढ़कर हमारे लिए कुछ नहीं हो सकता, देश की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़े सामर्थ्यवान उनका यह संदेश हमारे पास है। उन्होंने कहा कि गुरुबाणी का एक-एक शब्द हमें सम्मान समृद्धि और शक्ति दे सकता है, हम तो वसुदैव कुटुम्ब वाले हैं, पूरा विश्व एक परिवार है, इन आदर्शों से हम पले-बढ़े लोग हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम वो लोग हैं जो कभी किसी का बुरा नहीं चाहते हैं और कल्पना कीजिए कि साढ़े पांचसौ साल पहले जब साधन नहीं थे, व्यवस्थाएं नहीं थीं, गुरुनानक देवजी ने हिंदुस्तान के चप्पे-चप्पे पदयात्राएं कीं, जिनमें कहां आसाम और कहां कच्छ। उन्होंने कहा कि पदयात्रा करके ही उन्होंने एक प्रकार से पूरे हिंदुस्तान को अपने भीतर समाहित कर लिया, ऐसी साधना, ऐसी तपस्या से आज ये गुरूपर्व हम सबके लिए एक नई प्रेरणा, नई ऊर्जा, नए उत्साह का कारण बन रहा है, जो देश की एकता और अखंडता के लिए हमें एक शक्ति दे रहा है और हमसब मिलकर ऐसी संगत हैं, जिसकी अपनी एक ताकत है, महान परंपरा है। उन्होंने कहा कि लंगर के महत्व की बात करें तो यह कोई सामान्य खानपान की व्यवस्था नहीं है, लंगर एक संस्कार है, लंगर एक विरासत है, जिसमें कोई भेदभाव नहीं दिखाई देता है, ये बड़ा योगदान बड़ी सरल पद्धति से दिया गया है, इसलिए गुरूपर्व पर मैं सभी को नमन करता हूं।