स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 29 November 2018 12:36:46 PM
नई दिल्ली। गैबन गणराज्य के विदेश मंत्री रेजिस इमॉन्गॉल्ट ने दिल्ली में भारत सरकार में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु से भेंट की। वाणिज्य मंत्री ने गैबन के विदेश मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि गैबन के साथ अपने संबंधों को भारत विशेष अहमियत देता है और वह वर्ष 2025 तक गैबन को एक उभरती अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हरसंभव सहायता देगा। सुरेश प्रभु ने कहा कि दोनों देशों के लिए यह संभव है कि वे लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांचागत, ऊर्जा, जल, कृषि, सेवाओं और पर्यटन के क्षेत्र में आपस में मिल-जुलकर ठोस कदम उठाएं। सुरेश प्रभु ने गैबन के विदेश मंत्री को यह जानकारी दी कि मौजूदा समय में भारत और गैबन के बीच द्विपक्षीय व्यापार कुल मिलाकर 440.47 मिलियन डॉलर का होता है, जबकि आपसी द्विपक्षीय व्यापार की कुल क्षमता को हासिल करना अब भी बाकी है।
वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापार को आने वाले वर्षों में और ज्यादा बढ़ाने के लिए आपस में मिल-जुलकर काम करना होगा। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में भारतीय कंपनियां पहले से ही लकड़ी, प्लाईवुड, खनन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपना परिचालन कर रही हैं। गैबन के विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश विभिन्न क्षेत्रों के विकास में ब्रिक्स देशों की मजबूत सहभागिता की उम्मीद कर रहा है। गैबन ने भारत के साथ द्विपक्षीय निवेश समझौता करने में रुचि दिखाई है। भारत ने गैबन से अनुरोध किया है कि वह विकास परियोजनाओं के लिए ऋण रेखा अथवा कर्ज राशि की पेशकश से लाभ उठाए। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का एक सदस्य होने के नाते गैबन सौर परियोजनाओं के लिए भी एलओसी से लाभ उठा सकता है। भारत ने यह भी सुझाव दिया है कि गैबन खनन परियोजनाओं में निवेश पर विचार करने के उद्देश्य से भारतीय उद्योगों के लिए खनिजों की एक पूरी सूची दे सकता है। विश्वभर में मैंगनीज का छठा सबसे बड़ा भंडार गैबन में ही है। गैबन भी दुनिया के उन चार देशों में शामिल है, जहां उच्च किस्म वाले भंडार हैं। इस दृष्टि से अन्य देशों में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील शामिल हैं।
गैबन विश्वस्तर पर मैंगनीज अयस्क का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके वैश्विक उत्पादन में गैबन की 11 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि इसमें दक्षिण अफ्रीका, चीन और ऑस्ट्रेलिया की क्रमश: 26,17 एवं 15 प्रतिशत हिस्सेदारी है। चूंकि बड़े भंडारों का दोहन करना अभी बाकी है, इसलिए गैबन इस क्षेत्र को विकसित करने में काफी दिलचस्पी दिखा रहा है। मैंगनीज और इंडिया लिमिटेड यानी मॉयल की टीम जुलाई 2018 में गैबन गई थी, जिसका उद्देश्य गैबन की खनन कंपनियों के साथ संयुक्त गठबंधन की संभावनाएं तलाशना था। गैबन अपने यहां के महत्वपूर्ण खनन क्लस्टरों में रेलवे लाइनों के निर्माण में भारत से निवेश आकर्षित करने के लिए भी अथक प्रयास कर रहा है, इनमें से एक प्रस्तावित रेललाइन के लिए राइट्स ने एक संभाव्यता अथवा लाभप्रदता अध्ययन कराया था। भारत और गैबन दोनों ही व्यापार एवं निवेश के अवसरों की तलाश करने के लिए एक दूसरे के यहां व्यावसायिक या कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भेजने पर भी सहमत हुए हैं।