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Wednesday 5 December 2018 02:54:38 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीसैट-11 के सफल प्रक्षेपण पर भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन-इसरो को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत के सबसे वजनी, बड़े और अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-11 हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का एक प्रमुख मील का पत्थर है, जो दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़कर करोड़ों भारतीयों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को नित नए नवाचार करने वाले और उपलब्धियों तथा सफलता के उच्च कीर्तिमान बनाने वाले अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है, उनके उल्लेखनीय कार्य प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणादायी हैं।
इसरो के सबसे वजनी और अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-11 का आज फ्रेंच गुयान के अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया। प्रक्षेपण यान एरियन 5 वीए-246 ने सबसे ज्यादा भार वाले जीसैट-11 और दक्षिणी कोरिया के उपग्रह जीओ कॉम्पसैट-2ए को लेकर भारतीय समयानुसार फ्रेंच गुयाना के कोरू प्रक्षेपण केंद्र से उड़ान भरी। एरियन-5, सोयूज और वेगा सहित उन तीन प्रक्षेपण यानों में से एक है, जिसे यूरोप की एरियनस्पेस कंपनी संचालित करती है। तीन मिनट की उड़ान के बाद जीसैट-11 प्रक्षेपण यान एरियन-5 से अलग होकर भू-समकालिक अंतरण कक्षा में प्रवेश कर गया, जोकि उपग्रह की निर्धारित कक्षा के काफी समीप था। करीब 5854 किलोग्राम भार वाला जी सैट-11 उपग्रह 32 यूजर बीम के माध्यम से केयू बैंड और 8 हब बीम के माध्यम से केए बैंड में भारत के सामान्य और द्वीपीय क्षेत्रों में तीव्रगति की इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवन ने इस अवसर पर कहा कि जीसैट-11 देश के ग्रामीण और दूरदराज के ग्राम पंचायत क्षेत्रों में भारत नेट परियोजना के तहत आने वाली ब्रॉडबैंड सम्पर्क सेवा को गति देगा, जोकि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत नेट परियोजना का उद्देश्य ई-बैंकिंग, ई-हेल्थ और ई-गवर्नेंस जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि जीसैट-11 भविष्य के सभी तरह के संचार उपग्रहों के लिए एक अग्रदूत साबित होगा। इसरो अध्यक्ष ने कहा कि जीसैट-11 के सफल प्रक्षेपण से हमारा आत्मविश्वास और भी मजबूत हुआ है। प्रक्षेपण यान से उपग्रह के अलग होने के तुरंत बाद कर्नाटक के हासन स्थित इसरो के नियंत्रण कक्ष ने उपग्रह की कमान और नियंत्रण अपने हाथों में ले ली। नियंत्रण कक्ष के अनुसार उपग्रह सभी मानकों पर सही तरह से काम कर रहा है।
इसरो के वैज्ञानिक जीसैट-11 उपग्रह को आने वाले दिनों में भूमध्य रेखा से 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित करने का काम चरणबद्ध तरीके से करेंगे। इसके लिए उपग्रह की प्रणोदक प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। उपग्रह को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर पर भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाना है। इसके साथ ही उपग्रह के दो सौर पैनलों और चार एंटीनाओं के रिफलेक्टरों को खोल दिया जाएगा। कक्षा में स्थापित किए जाने के सभी परीक्षण पूरे होने के साथ ही उपग्रह पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा। गौरतलब है कि 21 दिन में इसरो ने तीन उपग्रहों और दो प्रक्षेपण यानों का सफल प्रक्षेपण किया है।