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Wednesday 19 December 2018 01:35:37 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल पर स्मारक डाक टिकट जारी किया है। यह डाक टिकट पश्चिम चम्पारण के सांसद डॉ संजय जायसवाल और वाल्मीकिनगर के सांसद सतीशचंद्र दुबे की उपस्थिति में जारी किया गया। यूरोपीय नील उत्पादकों के बिहार के चम्पारण में दमनकारी व्यवस्था में कष्टों का सामना कर रहे किसानों की तकलीफों की ओर महात्मा गांधी का ध्यान आकर्षित करने में राजकुमार शुक्ल ने अत्यंत प्रभावशाली योगदान दिया था, जिसकी परिणति 1917 में महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह की शुरूआत में हुई। गौरतलब है कि भारतीय डाक विभाग सार्वजनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली जानी-मानी हस्तियों विशेषकर स्वाधीनता सेनानियों को श्रद्धांजलि देता रहा है। डाक विभाग इस वर्ष करीब 43 डाक टिकट जारी कर चुका है।
राजकुमार शुक्ल दिसंबर 1916 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बिहार के किसानों के प्रतिनिधि बनकर लखनऊ गए और चंपारण के किसानों की दुर्दशा को शीर्ष नेताओं के समक्ष रखा। नील की खेती करनेवाले राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर महात्मा गांधी चंपारण आने को तैयार हुए। राजकुमार शुक्ल के साथ बापू 10 अप्रैल 1917 को कोलकाता से पटना और मुजफ्फरपुर होते हुए मोतिहारी गए। नील की फसल के लागू तीनकठिया खेती के विरोध में गांधीजी ने चंपारण में सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किया। अंग्रेजों की तत्कालीन तीन कठिया व्यवस्था के तहत हर बीघे में 3 कट्ठे जमीन पर नील की खेती करने की किसानों के लिए विवशता उत्पन्न करने का विरोध करते हुए राजकुमार शुक्ल ने वहां किसान आंदोलन की शुरुआत की, जिसके एवज में दंड स्वरूप उन्हें कई बार अंग्रेजों के कोड़े और प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। क्षेत्र के किसानों की बदहाल स्थिति को देखते हुए उन्होंने किसानों के आंदोलन को देश की आजादी का संवाहक बना दिया।