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Wednesday 19 December 2018 02:26:17 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने तुर्की की व्यापार मंत्री रूशार पेकन के साथ दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक में कहा है कि भारत कृषि उत्पादों, बैंकिंग से जुड़े मसलों, व्यापार घाटा तथा व्यापक निवेश से संबंधित तुर्की की सभी चिंताओं को दूर करेगा। सुरेश प्रभु ने कहा कि अगले वर्ष फरवरी में वह एक उच्चस्तरीय व्यापारिक शिष्टमंडल के साथ तुर्की की यात्रा पर जाएंगे। उन्होंने तुर्की की व्यापार मंत्री के साथ मिलकर तुर्की की ओर से उठाए गए सभी मसलों का समाधान सुनिश्चित करने को कहा। वाणिज्य मंत्री ने तुर्की की व्यापार मंत्री से आर्थिक और तकनीकी सहयोग से संबंधित भारत-तुर्की संयुक्त समिति की अगली बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया, ताकि दोनों देशों की चिंता के मसलों को नियमित विचार-विमर्श से हल किया जा सके।
वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत-तुर्की के साथ जल्द से जल्द व्यापक व्यापार समझौता करने को लेकर उत्साहित है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच अगस्त 2018 में संयुक्त अध्ययन समूह की रिपोर्ट के मसौदे पर चर्चा हुई थी, जिसे जल्द से जल्द अंतिम रूप दिए जाने की जरूरत है, ताकि इस संदर्भ में विचार-विमर्श शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारत अपनी जेएसजी रिपोर्ट सौंप चुका है और तुर्की से अपनी रिपोर्ट जल्द से जल्द दाखिल करने का अनुरोध किया है। वाणिज्य मंत्री ने तुर्की की व्यापार मंत्री को यह भी सूचित किया कि स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने के संबंध में तुर्की से प्राप्त प्रस्ताव भारत के वित्तमंत्रालय के पास विचाराधीन है। सुरेश प्रभु ने तुर्की पक्ष को सूचित किया कि भारत का विमानन क्षेत्र 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है, जो दुनियाभर में विमानन क्षेत्र में देखी गई सबसे तीव्रतम वृद्धि है। उन्होंने कहा कि अगले 10 वर्ष में 65 बिलियन डॉलर के निवेश से 100 नए हवाईअड्डों का निर्माण किया जाएगा।
सुरेश प्रभु ने तुर्की की विश्वस्तरीय निर्माण कंपनियों से भारत में बढ़ते विमानन क्षेत्र के कारोबार में भाग लेने का अनुरोध किया। वाणिज्य मंत्री ने नई दिल्ली में भारत-तुर्की व्यापार मंच को भी संबोधित किया, जहां उन्होंने कहा कि भारत आपसी व्यापार को दोनों देशों के लिए संतुलित और टिकाऊ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि तुर्की एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और कारोबारी साझेदार है और दोनों देश एक-दूसरे से लाभांवित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में भारत-तुर्की द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है, भारत की ओर से तुर्की को मुख्य रूपसे मीडियम ऑयल और ईंधन, कृत्रिम रेशे और प्राकृतिक रेशे, ऑटोमोटिव कल-पुर्जें और साजोसामान तथा ऑर्गेनिक कैमिकल का निर्यात होता है। तुर्की भारत को खसखस, मशीनरी और यांत्रिक उपकरणों, लोहे और इस्पात की वस्तुएं, अकार्बनिक रसायन, मोती तथा जवाहरात और धातुओं एवं संगमरमर का निर्यात करता है।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि वित्तवर्ष 2017-18 में भारत और तुर्की के बीच 7.2 बिलियन डॉलर मूल्य का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। वर्ष 2017-18 के दौरान तुर्की ने भारत से 5 बिलियन डॉलर तक का आयात किया तथा इसी अवधि के दौरान उसने भारत को 2.2 बिलियन डॉलर का निर्यात किया। उन्होंने कहा कि तुर्की की ओर से वर्ष 2000 से 2018 तक भारत में निर्माण, शीशा और मशीनरी आदि जैसे क्षेत्रों में 182.18 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है, जबकि भारत की ओर से तुर्की में 1998 से 2017 तक 121.36 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।