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Thursday 20 December 2018 01:13:35 PM
श्रीहरिकोटा। आंध्र प्रदेश में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो के जियोसिनक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हेकिल ने सफलतापूर्वक जीसैट-7ए को लांच किया। लांच के समय इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवान के नेतृत्व में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस सोमनाथ, यूआर राव उपग्रह केंद्र के निदेशक पी कुन्हीकृष्णन, अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डीके दास, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस पांडियन, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र के डॉ वी नारायणन और इसरो नोदन परिसर के निदेशक टी मूकियाह भी उपस्थित थे। ये सभी इसरो की टीम में शामिल थे। उनके साथ मिशन निदेशक मोहन एम और उपग्रह निदेशक किलेदार पंकज दामोदर ने भी लांच गतिविधियों को देखा।
इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवान ने इस अवसर पर कहा कि उनकी टीम ने जीसैट-7ए को लांच करके एक और शानदार उपलब्धि हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि पिछले 35 दिन में इसरो ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 3 अभियानों को लांच किया है। उन्होंने बताया कि 14 नवम्बर को जीएसएलवी एमकेIII-डी2, 29 नवम्बर को पीएसएलवी-सी43 और अंत में 19 दिसंबर को जीएसएलवी-एफ11 को लांच किया गया है। डॉ के सिवान ने कहा कि जीसैट-7ए अत्यंत भारी उपग्रह है, जिसे जीएसएलवी ने घरेलू स्तरपर विकसित क्रायोजेनिक इंजन से लांच किया है। उल्लेखनीय है कि अपनी क्षमताओं और तकनीकी खूबियों की वजह से जीसैट 7ए बेहद ख़ास है, इसमें 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनके जरिए तकरीबन 3.3 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है।
जीसैट-7ए से वायुसेना के एयरबेस इंटरलिंक होंगे साथ ही इसके जरिए ड्रोन ऑपरेशंस में भी मदद मिलेगी यानी इससे भारतीय वायुसेना की नेटवर्किंग क्षमता मजबूत होगी। जीसैट-7ए का वजन 2,250 किलोग्राम है। ये केयू-बैंड में संचार की सुविधा उपलब्ध करवाएगा। इसरो का यह 39वां संचार सेटेलाइट है और इसे भारतीय वायुसेना को बेहतर संचार सेवा देने के खास इरादे से ही लांच किया गया है। वर्ष 2018 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से यह इसरो का 7वां अभियान है। यह जीएसएलवी-एमकेII का 13वां प्रक्षेपण है।