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Thursday 20 December 2018 04:52:36 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज दिल्ली में अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण एसोसिएशन के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि पिछले कुछ वर्ष में अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण एसोसिएशन ने अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है, वह बड़ी और छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को एक साझा मंच पर ले आई है, उसने समेकित खाद्य श्रृंखलाएं स्थापित करने के लिए सभी उपयुक्त साझेदारों के प्रयासों को समंवित किया है और राष्ट्र के कल्याण में अनुकरणीय योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे किसानों के निःस्वार्थ परिश्रम और कृषि तथा एग्रो प्रोसेसिंग में तकनीकी और औद्योगिक सुधार के लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास खाद्यान्न की कमी नहीं है, अनेक कृषि उत्पाद और अतिरिक्त प्रसंस्कृत खाद्यान्न हैं। उन्होंने कहा कि विश्व बाज़ार में हमारी हिस्सेदारी बढ़ रही है और अब समय आ गया है कि जब व्यापक आर्थिक लाभों के लिए हम अपनी महत्वाकांक्षाएं बढ़ाएं, लेकिन अपने किसानों की समृद्धि को सर्वोपरि रखें।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमें कृषि उत्पादन से उपभोग तक खाद्य श्रृंखला की विभिन्न प्रक्रियाओं में लाभ की कड़ी को जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के भीतर और अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर किसानों को उनकी फसल से प्राप्त मूल्यों और खाद्यान्न का उपयोग करने वालों द्वारा भुगतान किए गए मूल्यों के बीच पर्याप्त अंतर है, इसे कम करना जरूरी है, ऐसा मांग और आपूर्ति की सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए, इससे व्यवसाय के रूपमें खेती निरंतरता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि किसानों की तत्परता और खेत में काम कर रहे खेतिहर मजदूरों को प्रोत्साहित किए बिना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग बंद हो जाएगा, इसका मूलभूत अंश-कृषि उत्पाद ही नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि किसान केवल उनका आपूर्तिकर्ता ही नहीं है, वह उनका अभिन्न सहयोगी भी है। भारत में अन्न की बर्बादी के स्तर की तरफ इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अन्न की बर्बादी से न केवल आर्थिक सवाल खड़े होते हैं, बल्कि नैतिकता पर भी सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां आमदनी और उपभोग में निर्विवाद असमानताएं हैं। रामनाथ कोविंद ने कहा कि बेहतर और अधिक युक्तिसंगत खाद्यान्न वितरण से हम अन्न की बर्बादी को आसानी से रोक सकते हैं, इससे हम समाज के बड़े हिस्से की सेवा कर सकेंगे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि फसल की कटाई के बाद पराली का मुद्दा भी आवश्यक बना हुआ है, कुछ वर्ष पूर्व सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हावेस्ट इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी की एक रिपोर्ट में इस तरह के पराली के करीब 100,000 करोड़ रुपये मूल्य होने का अनुमान लगाया गया, यह एक त्रासदी है, हमारे अधिकतर कृषि वैज्ञानिक निर्वाह खेती में लगे हुए हैं, उनके उत्पाद उनके लिए भरण-पोषण का स्रोत है। उन्होंने कहा कि यदि भंडारण अथवा लॉजिस्टिक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण खेती को नुकसान पहुंचता है तो किसान परिवारों की आजीविका पर असर पड़ता है। राष्ट्रपति ने कहा कि यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की प्रमुख भूमिका है, यह किसानों और विविध तथा सुदूवर्ती बाज़ारों के बीच सेतु बनकर खाद्य मूल्य श्रृंखला का निर्माण करने में मदद कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह उद्योग विशेष वस्तुओं और मदों के लिए किसानों के साथ दीर्घकालिक समझौता कर सकता है, यह शीत श्रृंखलाएं, तेज़ यातायात और खाद्य वस्तुओं के प्रबंधन तथा टेक्नोलॉजी के रूपमें निवेश कर सकता है और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दे सकता है, जो खाद्यउत्पादों को सुरक्षित और लंबे समय तक खाने योग्य रखती हैं।