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Friday 28 December 2018 05:00:39 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कक्षा की एक परिक्रमा से अधिकतम सात दिन की मिशन अवधि में भू-केंद्रित कक्षा में भारतीय मानव अंतरिक्ष विमान क्षमता वाले गगनयान कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि इसरो ने मानव अंतरिक्ष विमान मिशन के लिए अधिक से अधिक आवश्यक बुनियादी टेक्नोलॉजी का विकास एवं प्रदर्शन किया है और वैश्विक रूपसे भी मानव चालित अंतरिक्ष यान लांच करने में दिलचस्पी देखी जा रही है। मानव निर्धारित जीएसएलवी एमके-III का उपयोग कक्षा मॉड्यूल को ले जाने में होगा। इस मॉड्यूल में मिशन की अवधि के लिए तीन क्रू सदस्यों के लिए आवश्यक प्रावधान होंगे, क्रू प्रशिक्षण के लिए आवश्यक मूलभूत संरचना, विमान प्रणालियों की प्राप्ति तथा जमीनी आधारभूत ढांचा तैयार करके गगनयान कार्यक्रम को समर्थन दिया जाएगा। इसरो राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षा संस्थानों तथा उद्योग क्षेत्र के साथ व्यापक सहयोग करके गगनयान कार्यक्रम के उद्देश्यों को सार्थक बनाएगा।
गगनयान कार्यक्रम के लिए 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है और इसमें टेक्नोलॉजी विकास लागत, विमान हार्डवेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढांचागत तत्व शामिल हैं। दो मानवरहित विमान तथा एक मानवचालित विमान गगनयान कार्यक्रम के भाग के रूपमें चलाए जाएंगे। गगनयान कार्यक्रम इसरो तथा शिक्षा जगत, उद्योग, राष्ट्रीय एजेंसियों तथा अन्य वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग के लिए व्यापक ढांचा तैयार करेगा। इससे विभिन्न प्रौद्योगिकी तथा औद्योगिक क्षमताओं को एकत्रित करके शोध अवसरों तथा टेक्नोलॉजी विकास में व्यापक भागीदारी को सक्षम बनाया जाएगा, जिससे बड़ी संख्या में विद्यार्थी और शोधकर्ता लाभांवित होंगे। विमान प्रणाली की प्राप्ति उद्योग के माध्यम से की जाएगी, इससे रोज़गार सृजन होगा और एडवांस टेक्नोलॉजी में मानव संसाधानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय विकास के लिए बड़ी संख्या में युवा विद्यार्थियों को विज्ञान और टेक्नोलॉजी की पढ़ाई के लिए प्रेरित करेगा। गगनयान कार्यक्रम एक राष्ट्रीय प्रयास है और इसमें उद्योग, शिक्षा जगत तथा देशभर में फैली राष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी होगी।
गगनयान कार्यक्रम इसरो के साथ अन्य हितधारकों, उद्योग, शिक्षा जगत तथा अन्य वैज्ञानिक एजेंसियों और प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग में राष्ट्रीय प्रयास होगा। इसरो उद्योग के माध्यम से विमान हार्डवेयर प्राप्ति के लिए उत्तरदायी होगा। राष्ट्रीय एजेंसियां, प्रयोगशालाएं और शिक्षा जगत की भागीदारी कर्मी प्रशिक्षण, मानवजीवन विज्ञान, प्रौद्योगिकी विकास पहलों के साथ-साथ डिजाइन समीक्षा में होगी। स्वीकृति की तिथि से 40 महीने के अंदर पहले मानव चालित विमान प्रदर्शन का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। इसके पहले दो मानव रहित विमान भेजे जाएंगे, ताकि टेक्नोलॉजी तथा मिशन प्रबंधन पहलुओं में विश्वास बढ़ाया जा सके। इस कार्यक्रम से देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा। औषधि, कृषि, औद्योगिक सुरक्षा, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, जल तथा खाद्य संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी के लिए आपार क्षमता है।
मानव अंतरिक्ष विमान कार्यक्रम प्रयोग तथा भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिए प्रशिक्षण के लिए अंतरिक्ष में एक अनूठा सूक्ष्म गंभीर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगा। इससे रोज़गार सृजन, मानव संसाधन विकास तथा वृद्धि सहित औद्योगिक क्षमताओं के संदर्भ में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी। मानव अंतरिक्ष यान क्षमता भारत को दीर्घकालिक राष्ट्रीय लाभों के साथ भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष खोज कार्यक्रमों में सहयोगी के रूपमें भागीदारी के लिए सक्षम बनाएगी। इसरो ने लांच व्हकिल जीएसएलवी एमके-III का विकास कार्य पूरा कर लिया है। इसमें पृथ्वी केंद्रित कक्षा में तीन सदस्य मॉड्यूल लांच करने की आवश्यक भार क्षमता है। इसरो ने मानव रहित अंतरिक्ष विमान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी संपन्न क्रू स्केप सिस्टम का परीक्षण भी कर लिया है। जीएसएलवी एमके-IIIX मिशन विमान के भाग के रूपमेंक्रू मॉड्यूल का एरोडायनेमिक चित्रण पूरा कर लिया गया है। जीवन समर्थन प्रणाली तथा अंतरिक्ष पोशाक प्राप्त कर लिए गए हैं और इनका परीक्षण किया गया है। इसके अतिरिक्त स्पेस केपसूल रि-एंट्री एक्पेरिमेंट मिशन में कक्षीय तथा पुनः प्रवेश मिशन और पुनःप्राप्ति संचालन को दिखाया गया है।