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Thursday 14 March 2013 10:22:10 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रहमान खान ने कहा है कि सरकार अल्पसंख्यकों की देख-रेख के लिए प्रसवपूर्व स्तर से लेकर पीएचडी स्तर तक योजनाएं चला रही है। राज्य अल्पसंख्यक आयोगों के वार्षिक सम्मेलन के समारोह में उन्होंने कहा कि लोग विभिन्न योजनाओं पर सरकार के खर्च से तो संतुष्ट हैं, मगर लाभ उपलब्ध कराने की प्रणाली के बारे में उनकी शिकायतें हैं।
रहमान खान ने कहा कि सच्चर समिति की 76 सिफारिशों में से सरकार ने 72 को स्वीकार कर लिया था, जिसमें से 69 के कार्यान्वयन का काम शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम के बारे में उन्होंने कहा कि वंचित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए सभी विकासात्मक योजनाओं के वित्तीय और भौतिक लक्ष्य तय कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों का, कानून लागू करने वाली एजेंसियों पर विश्वास कम हो रहा है, इसलिए अल्पसंख्यक आयोगों को उनका विश्वास जीतने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने अल्पसंख्यक आयोगों को सरकार और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच एक मध्यस्थ बताया तथा कहा कि इन आयोगों को लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
के रहमान खान ने आश्वासन दिया कि एक बार सम्मेलन की सिफारिशें मिलने पर मंत्रालय इस पर गौर करेगा कि इसे कैसे सम्मिलित और कार्यान्वित किया जाए। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्लाह ने सम्मेलन की चर्चाओं की समीक्षा की। इस साल सम्मेलन का विषय था-'धर्मनिरपेक्ष भारत में बहुसंख्यकों की संवेदनशीलता और अल्पसंख्यकों के दायित्व'। डेढ़ दिन तक चले इस सम्मेलन में 3 सत्र आयोजित किए गए थे।