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Tuesday 1 January 2019 12:45:46 PM
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा है कि देश के विकास में आज सबसे बड़ी बाधा हीनता का भाव है, अपने लोग दूसरे देशों या संस्कृति के सामने खुद को हीन समझने लगे हैं। उन्होंने कहा कि जापान चीन अमेरिका जैसे दूसरे देशों का अनुसरण करने के बजाय भारत को भारत रहने की आवश्यकता है। सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि भारत के युवाओं में हीनता को छोड़कर संस्कृति, भाषा, विचार आदि के लिए जागरुक करने का संकल्प लेना होगा, युवा पीढ़ी को समझना होगा कि विश्वकल्याण का मार्ग भारत से होकर ही निकलेगा। सरकार्यवाह ने संस्कृति कॉलेज सभागार मानसरोवर में हिंदू जीवन पद्धति पर प्रबुद्ध जन संगोष्ठी में ये विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में सेना से सेवानिवृत अधिकारी, न्यायिक, प्रशासनिक, सामाजिक, शैक्षिक व व्यावसायिक नेतृत्व करने वाले प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।
सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि देश में हीनभावना से ग्रस्त होने की चुनौती को दूर करने के लिए परिवार, संगठनों के साथ सभी को प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया में ईश्वर के रूप भिन्न हैं, लेकिन ईश्वर एक है। उन्होंने कहा कि दुनिया ईश्वर के रूपों को लेकर ही संघर्ष कर रही है, जबकि हिंदू जीवनशैली कहती है कि आपस में संघर्ष की जरूरत नहीं है, हम एक होकर चलेंगे, यही विश्वकल्याण का मार्ग है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में किसी प्रकार का दुराग्रह नहीं है, शास्त्रीय मान्यता है कि संसार में जो भी बना है, वह पंच महाभूतों से निर्मित हुआ है और उसी में विलीन हो जाएगा, पंचभूतों के बिना दुनिया में कोई भी शक्ति नहीं चल सकती है, ऐसे में इनके मूल में पूजा का भाव रहता है, न कि संघर्ष का। सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि दुनिया ने मानव व प्रकृति को अलग-अलग मानकर समस्याओं को न्योता दिया है, भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए चलना सिखाती है।
भैयाजी जोशी ने कहा कि संबंध कानून से नहीं, बल्कि भावनात्मक लगाव के कारण चलते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज का चिंतन है कि मानव की जीवनशैली परस्पर संबंधों के आधार पर विकसित हुई। उन्होंने कहा कि शरीर साधन है, कोई स्थायी वस्तु नहीं है, शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अविनाशी है, यह मानने वाला हिंदू है। उन्होंने कहा कि इस धारणा से हटने पर विनाश के अलावा कुछ नहीं है, भारत की जवीनशैली सकारात्मक सोच वाली है, जो अच्छाई के लिए प्रेरित करती है। भैयाजी ने कहा कि हम दुनिया से कहते हैं कि मानव के संबंध अधिकार सुरक्षित रखने से चलते हैं। उन्होंने कहा कि आपसी संबंधों में सहज भाव है, हमारे यहां किसी को किसी के प्रति अन्याय करने का अधिकार नहीं दिया है, यह प्रमाणिकता मनुष्य के स्वभाव व आचरण में है।