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Tuesday 8 January 2019 01:51:25 PM
नई दिल्ली/ चाबहार। भारत सरकार ने अफगानिस्तान की सहायता के लिए क्षेत्रीय सहयोग और साझा प्रयासों की अगुवाई करते हुए ईरान में चाबहार बंदरगाह के एक भाग का प्रचालन शुरू कर दिया है, जिसका उसने 24 दिसंबर 2018 को चाबहार त्रिपक्षीय समझौता बैठक के दौरान ईरान में शाहिद बेहिश्ती बंदरगाह चाबहार के एक भाग के प्रचालन का दायित्व ग्रहण किया था। चाबहार के साथ संबंध जोड़कर भारत ने इतिहास रच दिया है और भारत द्वारा अपने भू-भाग से बाहर किसी बंदरगाह के प्रचालन का यह पहला मौका है। इसीके तहत चाबहार में भारतीय एसपीवी यानी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल चाबहार फ्री जोन के कार्यालय का भारत, ईरान और अफगानिस्तान के शिष्टमंडलों के प्रमुखों ने संयुक्त रूपसे उद्घाटन किया। गौरतलब है कि चाबहार ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत का एक शहर है। यह एक मुक्त बंदरगाह है और ओमान की खाड़ी के किनारे है। यह ईरान का सबसे दक्षिणी शहर है, इस नगर के अधिकांश लोग बलूच हैं और बलूची भाषा बोलते हैं।
चाबहार बंदरगाह ईरान के लिए रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। चाबहार में भारतीय एसपीवी के टर्मिनल एरिया, कार्गो हैंडलिंग इक्विप्मेंट और कार्यालय की इमारत को वास्तविक रूपसे नियंत्रण में लेने का कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा। आईपीजीसीएफजेड में वाणिज्यिक प्रचालन एक पोत के आगमन के साथ हुआ, साइप्रस में पंजीकृत यह पोत 72458 एमटी मक्का के नौभार के साथ चाबहार पहुंचा। पोत एमवी मेचेराज ने 30 दिसंबर 2018 को टर्मिनल पर लंगर डाला था। आईपीजीसीएफजेड ने नुमैटिक अन-लोडर्स का इस्तेमाल करते हुए आयतित नौभार (एक्स ब्राजील) को डिस्चार्ज कर अपने प्रथम कार्गो प्रचालन को कार्यांवित किया। भारत ने चाबहार बंदरगाह के बारे में ईरान के साथ 2003 में बातचीत शुरू की थी, लेकिन इसे महत्वपूर्ण बल 2014 की आखिरी छमाही में मिला, जिसके परिणामस्वरूप चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए मई 2015 में दोनों देशों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे।
भारत और ईरान के बीच इस एमओयू को चाबहार बंदरगाह को उपकरणों से लैस करने और उसका प्रचालन करने के लिए 10 साल के औपचारिक समझौते में परिवर्तित किया गया था, जिसे 23 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान निष्पादित किया गया। समझौते को कार्यशील बनाने की राह में चुनौतियां थीं, इसलिए ईरान के राष्ट्रपति डॉ हसन रुहानी की फरवरी 2018 की भारत यात्रा के दौरान एक अंतरिम अवधि के समझौते की आधारशिला रखी गई। इसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के बीच 6 मई 2018 को औपचारिक अल्पावधि समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारत-ईरान के बीच इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल करने के लिए मार्गदर्शन और निरंतर सहायता के लिए भारत सरकार के प्रयासों को ईरान के पीएमओ तथा भारत में ईरानी दूतावास, ईरान में भारत के दूतावास, विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने पूरी तरह प्रतिफलित किया।