स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 9 January 2019 03:18:54 PM
नई दिल्ली। भारत पशु नस्लों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हेतु ब्राज़ील से तकनीकी सहयोग ले रहा है। बफैलो रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ब्राजील के निदेशक डॉ जोस रिबाम्बर फिलिप मार्केस की अगुवाई में भारत आए पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कृषि भवन नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह से मुलाकात की, जिसका मुख्य उद्देश्य देशी नस्लों के उत्पादन और उत्पादकता में तेजी से वृद्धि करने के लिए भारत एवं ब्राजील के बीच तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। कृषिमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि देश में ईटीटी, आईवीएफ के प्रसार, भारतीय देशी नस्लों के लिंग चयनित वीर्य उत्पादन और प्रोफेशनलों के प्रशिक्षण में ब्राजील का सहयोग लिया जाएगा, ताकि देश में देशी नस्लों के उत्पादन और उत्पादकता में तेजी से वृद्धि की जा सके।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि ब्राजील ने आधुनिक प्रजनन तकनीकों को अपनाने और वैज्ञानिक प्रजनन कार्यक्रमों को लागू करने से भारत की देशी नस्लों की उत्पादकता में वृद्धि हासिल की है, ऐसे में ब्राजील की विकसित जीनोमिक चिप्स हमारी स्वदेशी नस्लों के लिए जीनोमिक चयन को लागू करने के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं। राधामोहन सिंह ने बताया कि प्रजनन तकनीकों के नवीनतम विकास में ईटीटी, आईवीएफ, लिंग चयनित वीर्य, जीनोमिक्स और कुशल श्रमबल को पुन: प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए देश में 4 पशु प्रजनन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, ये केंद्र न केवल प्रशिक्षण केंद्र के रूपमें काम करेंगे, बल्कि अनुसंधान और विकास केंद्र के रूपमें भी कार्य करेंगें। उन्होंने कहा कि इनपर उत्पादित जर्मप्लाज्म सभी राज्यों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि दो उत्कृष्टता केंद्र कालसी देहरादून उत्तराखंड एवं केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र मोतिहारी में ब्राजील के सहयोग से स्थापित किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि भारत सरकार और एमब्रापा ब्राजील के बीच समझौता ज्ञापन पर अक्टूबर 2016 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका मुख्य लक्ष्य असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग करना, आईवीएफ के क्षेत्र में प्रशिक्षण देना, मवेशियों और भैंसों की उत्पादकता में सुधार के क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं के माध्यम से जीनोमिक्स और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग विकसित करना और जीनोमिक एवं असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी में क्षमता निर्माण करना है।