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Saturday 12 January 2019 01:02:13 PM
बैंगलुरू। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चेयरमैन डॉ के सिवन ने इसरो मुख्यालय बैंगलुरू में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए वर्ष 2018 में भारत के अंतरिक्ष विकास कार्यक्रमों में इसरो की उपलब्धियों को रेखांकित किया और राष्ट्र निर्माण में लॉन्च व्हीकल, सैटेलाइट और इनके अनुप्रयोगों पर चर्चा की। डॉ के सिवन ने चंद्रयान-2 समेत अन्य चुनौतीपूर्ण मिशनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, पुनः उपयोग करने लायक लॉन्च व्हीकल तथा हवाई यात्रा के दौरान कनेक्टिविटी जैसी कई नई तकनीकों के प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है, बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग भी कर रहा है।
इसरो के चेयरमैन डॉ के सिवन ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में देशी तकनीक की आवश्यकता, कच्चे माल एवं तकनीक आपूर्ति में भावी अस्थिरता की संभावना को भांपते हुए प्रत्येक माल आपूर्ति मार्ग, प्रक्रिया एवं तकनीक का विस्तार करके अपने अधिकार में लाने का प्रयत्न किया है। उन्होंने कहा कि उद्योग द्वारा पीएसएलवी का निर्माण एक मील का पत्थर साबित होगा और इस दिशा में प्रयास प्रारंभ कर दिए गए हैं। डॉ के सिवन ने गगनयान मिशन के बारे में कहा कि यह मिशन तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने में सक्षम है और यह सात दिन तक पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। उन्होंने कहा कि यह इसरो के प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण विस्तार है। उन्होंने बताया कि ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर के नाम से एक नए केंद्र की स्थापना की गई है, जो गगनयान मिशन का प्रमुख केंद्र होगा।