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Friday 15 March 2013 11:01:52 AM
लखनऊ। पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश एसी शर्मा ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, प्रभारी जनपद, परिक्षेत्रीय पुलिस उपमहानिरीक्षक, जोनल पुलिस महानिरीक्षक को परिपत्र भेजकर विवेचनाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये वैज्ञानिक विधि अपनाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सीसीटीएनएस परियोजना पूर्णतया लागू हो जाने के बाद वर्तमान में प्रचलित विवेचना पद्धति में काफी बदलाव आयेगा।
डीजीपी ने कहा कि वे विवेचना के तरीकों में परिवर्तन लाना प्रारंभ कर दें और वैज्ञानिक प़द्धति से विवेचना की जाए। थाने अथवा पुलिस कंट्रोल रूम पर घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर घटना स्थल को सुरक्षित करे, साथ ही विवेचक वफील्ड यूनिट को घटना स्थल पर पहुंचने के लिए निर्देशित किया जाए, विवेचक घटना स्थल का बारीकी से निरीक्षण करे एवं प्राप्त भौतिक साक्ष्यों प्रर्दशों को विशेषज्ञ या फील्ड यूनिट के अतिरिक्त अन्य किसी को न छूने दे। घटनास्थल की फोटो, वीडियोग्राफी कराई जाए। मौके पर प्राप्त भौतिक साक्ष्यों को तरतीब से पैकिंग कर दो स्वतंत्र गवाहों के समक्ष सीलमोहर किया जाए तथा फर्द पर गवाहों के हस्ताक्षर कराए जाएं। यदि यह टीम नहीं पहुंची है, तो विवेचक स्वयं यह सब कार्रवाई करेगा। घटना स्थल का नक्शा-नजरी बनाया जाए तथा इसका उल्लेख केस डायरी में किया जाए, जिससे आरोपियों को न्यायालय में सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके।
डीजीपी ने कहा कि जघन्य गंभीर अपराधों की घटना की जानकारी प्राप्त होते ही घटनास्थल पर पहुंचने वाले पुलिस कर्मी घटनास्थल के इर्द-गिर्द येलो टेप लगाना सुनिश्चित करेंगे एवं किसी अनाधिकृत व्यक्ति को प्रवेश करने से रोकेंगे, जिससे घटनास्थल को सुरक्षित रखा जा सके। फील्ड यूनिट टीम घटनास्थल पर पहुंच कर आवश्यक साक्ष्य विवेचक की मौजूदगी में एकत्रित करेगी। गवाहों के बयानों की आडियो वीडियो रिकार्डिंग की जाएगी, जिसकी एक प्रति केस डायरी में लगाई जाएगी, ताकि प्रभावी परिणामजनक विवेचना की जा सके। पर्यवेक्षण अधिकारी विवेचना में सक्रिय सहभागिता रखेंगे। विवेचना में गुणात्मक सुधार लाने हेतु प्रारंभ से ही विवेचना कार्य योजना बना ली जाए। कार्य योजना बनाते समय यह भी निर्धारित कर लिया जाए कि किन-किन बिंदुओं पर चिकित्सा विशेषज्ञ, अंगुष्ठ छाप विशेषज्ञ, विधि विज्ञान प्रयोगशाला विशेषज्ञ एवं रसायन विशेषज्ञ इत्यादि का अभिमत प्राप्त किया जाना है और किन पदार्थो को विशेषज्ञ के यहां परीक्षण हेतु भेजा जाना आवश्यक है। कार्ययोजना को पर्यवेक्षण अधिकारी से अनुमोदित कराना होगा।
विवेचक जिन व्यक्तियों के धारा 161 सीआरपीसी में बयान लेंगे, उनको यथासंभव नोटिस निर्गत करके थाने पर बुलाया जाएगा और उनके आगमन की इंट्री जीडी में दर्ज की जाएगी। बयान की आडियो-वीडियो रिकार्डिंग भी कराई जा सकती है। महिलाओं व बच्चों का कथन उनके निवास स्थान पर ही अंकित किया जाएगा और आवश्यकतानुसार 164 सीआरपीसी के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के समक्ष कलमबंद बयान अंकित कराए जाएं। घटना स्थल से एकत्रित भौतिक साक्ष्यों को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजते समय विवेचक यह स्पष्ट रूप से प्रश्न पूछे कि वह उस भौतिक साक्ष्य से क्या प्रमाण चाह रहा है। प्रत्येक दिवस की लिखी केस डायरी 24 घंटे के अंदर क्षेत्राधिकारी कार्यालय भेजी जाएगी। न्यायालयों में भेजे जा रहे आरोप पत्र में आवश्यक चीजों का समावेश किया जाएगा।
पर्यवेक्षण अधिकारी प्रत्येक दिवस प्राप्त केस डायरी का अनुश्रवण करेंगे और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि विवेचना कार्य-योजना के अनुसार ही चल रही है। हत्या एवं बलात्कार की विवेचना के दौरान उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर विवेचक अपनी संस्तुति अंकित करते हुए गोपनीय रिपोर्ट बनाकर क्षेत्राधिकारी को प्रस्तुत करेगा और क्षेत्राधिकारी अपनी टिप्पणी के साथ अपर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक प्रभारी जनपद को भेजेंगे। साक्ष्य के आधार पर संस्तुति किये जाने पर पर्यवेक्षण अधिकारी किसी आरोपी का नाम हटाने व बढ़ाने, अपराध की धारा घटाने एवं बढ़ाने या आरोप पत्र भेजने पर अपना सुस्पष्ट मत अंकित करेंगे। विवेचक पर्यवेक्षक अधिकारी के मत के आधार पर आरोप पत्र अथवा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।