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Monday 21 January 2019 04:11:59 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने एआईसीटीई यानी अभातशिप सांसद आदर्श ग्राम योजना पहल पुरस्कार समारोह में छात्रों को 'तकनीक द्वारा ग्रामीण विकास' विषय पर उनके नवोन्मेष के लिए छात्र विश्वकर्मा पुरस्कार प्रदान किए और कहा कि जबतक हम यह महसूस नहीं करेंगे कि गांवों का विकास राष्ट्र के विकास की एक आवश्यक शर्त है, तबतक विकास एक दूर का अधूरा सपना ही रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों ने यह महसूस करना शुरू कर दिया है कि भारत की समृद्धि की कुंजी हमारे गांवों में है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों को ग्रामीण क्षेत्रों में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि वे गांवों के लोगों की समस्याओं को अच्छे से समझ सकें और उनके समाधान की खोज कर सकें।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि ग्रामीण विकास में शिक्षण संस्थाओं की भागीदारी गांवों में व्यापक परिवर्तन ला सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे विकास की दृष्टि अभी भी शहर केंद्रित है, विकास के मानकों पर ग्रामीण भारत अभी भी शहरी भारत से पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए योजना बनाते समय हमें जनता की आकांक्षाओं को शामिल करना होगा, उनकी क्षमताओं का उपयोग करना होगा और उनकी कमियों को पूरा करना होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास का अर्थ मात्र ऊंची इमारतें बनाना ही नहीं, बल्कि स्थानीय ग्रामीण कारीगर का सशक्तिकरण या लघु उद्योग को प्रोत्साहन भी विकास का अभीष्ट है। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन पर चिंता जताते हुए कहा कि पर्यावरण परिवर्तन के कुप्रभावों का खामियाजा सबसे अधिक गरीबों और किसानों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने विकास प्रक्रिया में स्वच्छ ऊर्जा को स्थान देने का आग्रह किया।
वेंकैया नायडु ने इस दिशा में सरकार के कारगर कदमों का उल्लेख करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि भारत न केवल विश्व की सबसे तेज़ अर्थव्यवस्था बनेगा, बल्कि विश्व के लिए विकास का आदर्श माडल भी बनेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश को पर्यावरण सम्मत औद्योगिकीकरण और शहरीकरण को बढ़ावा देना होगा तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी विकास प्रक्रिया में शामिल करना होगा। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम उन सहस्त्रों स्वप्नों के प्रति उत्तरदायी हैं, जो भारत को विश्व के हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने की इच्छा रखते हैं।