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Saturday 26 January 2019 02:19:39 PM
श्रीहरिकोटा/ नई दिल्ली। भारत के प्रक्षेपणयान पोलर सैटेलाइट लांच व्हिकल पीएसएलवी-सी44 ने माइक्रोसैट-आर और कलामसैट-वी2 को उनकी निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। पीएसएलवी-सी44 ने 24 जनवरी को सतीश धवन स्पेस सेंटर एसएचएआर श्रीहरिकोटा के फर्स्ट लांच पैड से 46वीं उड़ान भरी और लगभग 13 मिनट 26 सेकंड के बाद माइक्रोसैट-आर को 274 किलोमीटर की निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। प्रक्षेपण के बाद सैटेलाइट की दो सौर श्रृंखलाएं स्वतः स्थापित हो गईं और बेंगलुरू में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क ने सैटेलाइट को नियंत्रण में ले लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसरो को बधाई देते हुए कहा कि पीएसएलवी के एक और सफल प्रक्षेपण के लिए हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। उन्होंने कहा कि इस प्रक्षेपण ने भारत के प्रतिभाशाली छात्रों के निर्मित कलामसैट को कक्षा में स्थापित कर दिया है, यही नहीं भारत सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण संबंधी प्रयोगों के लिए एक कक्षीय प्लेटफॉर्म के रूपमें एक अंतरिक्ष रॉकेट के चौथे चरण का उपयोग करने वाला पहला देश बन गया है।
प्रक्षेपण यान के चौथे चरण को परीक्षण के उद्देश्य से 453 किलोमीटर की अधिक की वृत्ताकार ऊंचाई पर कक्षा स्थापना के लिए भेजा गया। उड़ान भरने के 1 घंटा 40 मिनट के बाद कलामसैट-वी2 जो एक छात्र पेलोड है, को पूर्व निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया, इसमें कक्षीय प्लेटफार्म के रूपमें पीएस4 का पहलीबार उपयोग किया गया। यह उड़ान पीएसएलवी-डीएल का पहला मिशन था, जो पीएसएलवी का नवीन संस्करण है। इसमें मोटर से दो पट्टियां जुड़ी हुई हैं। पीएसएलवी का पिछला लांच 29 नवंबर को हुआ था, जिसमें भारत के एचवाईएस आईएस तथा अन्य देशों के 30 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था। इसरो के चेयरमैन डॉ के सिवन ने इस अवसर पर कहा कि पीएसएलवी-सी-44 मिशन अपने आपमें अनूठा है, क्योंकि इसरो ने पहलीबार रॉकेट के अंतिम चरण का उपयोग अंतरिक्ष में परीक्षण के लिए किया है। डॉ के सिवन ने आशा व्यक्त की कि छात्र समुदाय इसरो के इस अवसर का बेहतर उपयोग करेंगे। उन्होंनें कहा कि यह नवीन और किफायती प्रौद्योगिकी छात्रों को अंतरिक्ष में परीक्षण करने की सुविधा प्रदान करेगी, इसमें उपकरणों को रॉकेट के अंतिम चरण के लिए जोड़ा जा सकता है।
इसरो के चेयरमैन डॉ के सिवन ने निपुणता के साथ सैटेलाइट निर्माण के लिए कलाम सैट-वी2 टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हमें विज्ञान प्रेरित भारत के लिए प्रयास करना है और इसरो में पूरे भारत के सभी छात्रों का स्वागत है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि छात्र अपने सैटेलाइट हमारे पास लाएं और हम उन्हें लांच करेंगे। उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिक भारत के भविष्य का निर्माण करेंगे। डॉ के सिवन ने कलामसैट-वी2 टीम का परिचय दिया। इसके पहले डॉ सिवन ने श्रीहरिकोटा में छात्रों के साथ संवाद कार्यक्रम के तीसरे संस्करण की अध्यक्षता की थी, जिसमें लगभग 300 स्कूली छात्रों को उनसे बातचीत करने का अवसर प्राप्त हुआ था। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा था कि पूरी तन्मयता के साथ वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें, एक अच्छा छात्र असफलता से भयभीत नहीं होता, ज्ञान प्राप्ति के लिए असफलताएं आवश्यक हैं, क्योंकि ये नए अवसर प्रदान करती हैं। मिशन निदेशक आर हटन ने लांच को सफल बनाने के लिए पीएसएलवी-सी-44 टीम को उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।