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खाड़ी देशों के अप्रवासी छात्रों की भारत यात्रा

भारत का शांतिपूर्ण सहअस्तित्‍व में विश्‍वास-उपराष्‍ट्रपति

ये छात्र प्राउड टू बी एन इंडियन प्रतिस्‍पर्धा के हैं विजेता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 30 January 2019 01:21:02 PM

vice president addressing the migrant students of gulf countries

नई दिल्ली। उपराष्‍ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारत यात्रा पर आए खाड़ी देशों के अप्रवासी छात्रों से मुलाकात पर कहा है कि आप जिस देश में रहते हैं, उस देश के कानून और नियमों का पालन करें, इसके साथ ही अपनी मातृभूमि की भावना और परंपराओं का भी सम्‍मान करें। ये छात्र एशियानेट न्‍यूज़ की ‘प्राउड टू बी एन इंडियन-2019’ प्रतिस्‍पर्धा के विजेता हैं। उपराष्‍ट्रपति ने एशियानेट न्‍यूज़ को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि इस प्रतिस्‍पर्धा से छात्रों को भारत भ्रमण का सुअवसर प्राप्‍त हुआ है। वेंकैया नायडू ने कहा कि पूरा विश्‍व एक वैश्विक गांव में बदल गया है। उन्‍होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे विश्‍व के नागरिक बने, लेकिन साथ ही अपनी सभ्‍यता, संस्‍कृति, इतिहास, परम्‍परा, रीति-रिवाज और त्‍योहारों की स्‍पष्‍ट जानकारी रखें तथा वेद और उपनिषदों के ज्ञान को भी प्राप्‍त करें।
उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत एक वाइब्रेंट लोकतंत्र है, जिसकी जड़ें धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और शांति से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि उन्हें देश के संवैधानिक मूल्‍यों को समझना चाहिए, संविधान अन्‍य नागरिकों तथा देश की एक‍ता और अखंडता के लिए प्रतिबद्धता ही राष्‍ट्रीयता की मूल भावना है, यही देशभक्ति है। उन्होंने कहा कि सर्व धर्म समभाव सभी भारतीयों के डीएनए में है। भारत के महान दर्शन वसुधैव कुटुम्‍बकम के बारे में उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत ने किसी भी देश पर आक्रमण नहीं किया है, बल्कि हमेशा से ही शांतिपूर्ण सहअस्तित्‍व में विश्‍वास किया है। वेंकैया नायडू ने कहा कि महात्‍मा गांधी ने कहा था कि अपने आपको पाने का सबसे अच्‍छा तरीका यह है कि आप दूसरों की सेवा में अपने आपको भूल जाएं। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि शांति, जलवायु परिवर्तन, सौर ऊर्जा और प्रकृति के संबंध में भारत की प्रतिबद्धता से पूरे विश्‍व के लोगों का जीवन बेहतर होगा। वेंकैया नायडू ने कहा कि पूरे विश्‍व की विकास गति धीमी पड़ रही है, लेकिन भारत में विकास दर 7 प्रतिशत से अधिक रही है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि प्रत्‍येक भारतीय में मौजूद प्रतिभा, कौशल विकास और हस्‍तकला को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और अपने पारंपरिक मूल्‍यों को संरक्षित करना चाहिए, क्‍योंकि ये नि:स्‍वार्थ शांति को बढ़ावा देते हैं और बड़ों एवं शिक्षकों का आदर करना सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें लैंगिक समानता, समावेशी दृष्टिकोण और खुली मानसिकता को प्रोत्‍साहित करने की आवश्‍यकता है। उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि भविष्‍य के नागरिकों को वंचितों की कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और जरूरतमंदों के प्रति उदार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा पहले अनिवार्य थी और इसे फिर से लागू किए जाने की आवश्‍यकता है।

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