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Wednesday 30 January 2019 05:50:00 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने छात्रों में तर्कसंगत सोच विकसित करने और उन्हें जीवन की चुनौतियों का स्वत: सामना करने में सक्षम बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली को अनुकूल बनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि एक ऐसी शिक्षा जो दिमाग, हृदय, शरीर और उत्साह को संतुलित करे, उसे ही सच्चे अर्थों में संपूर्ण शिक्षा कही जा सकती है। उन्होंने कहा कि बच्चों को ज्ञान अर्जित और समाहित करने में समर्थ होने के साथ-साथ जीवन की वास्तविक स्थिति में ज्ञान के इस्तेमाल में भी सक्षम होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने ये उद्गार आज तमिलनाडु के केंद्रीय विद्यालय और अन्य विद्यालयों के छात्रों से उपराष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में बातचीत करते हुए व्यक्त किए।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत में गुरू शिष्य परंपरा जैसी एक महान परंपरा होती थी, जिसमें शिक्षक और छात्र एकसाथ रहते थे और निरंतर बातचीत में लगे रहते थे। उन्होंने कहा कि हमारी आधुनिक शिक्षा प्रणाली में भी ऐसी महान परंपरा शामिल होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उपनिषदों के माध्यम से हमारे प्राचीन समय की ये वार्ताएं हमें लिखित रूपमें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली में बच्चों को स्कूल का आनंद लेने और उन्हें जीवनपर्यंत शिक्षणार्थी बनाने की स्वीकृति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अवलोकन, पठन, विमर्श, प्रतिचित्रण, विश्लेषण और समन्वय के माध्यम से उत्कृष्ट शिक्षण संभव होता है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों के अनुकूलन ऐसे पहलुओं पर जोर दिया जाना चाहिए, जिससे बच्चे जिज्ञासु, सृजनशील, जवाबदेह, संप्रेषणशील, आत्मविश्वास से परिपूर्ण और समर्थ बनें।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक केवल छात्रों को शैक्षिक विषयों के बारे में मार्गदर्शन न करें, बल्कि आज की बढ़ती जटिलता वाली दुनिया में सफल जीवनयापन के लिए अनिवार्य जीवनकौशल विकसित करने में भी उनकी मदद करें। उन्होंने युवाओं को अवसाद से बचाने में परिवार प्रणाली को सबसे अच्छा उपाय बताते हुए माता-पिता से मांग की कि वे नियमित रूपसे बच्चों के साथ बातचीत करें और उनकी समस्याओं को समझें। कुछ शारीरिक क्रियाकलाप अथवा कसरत को स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षाविद् और माता-पिता खेल शिक्षा को भी महत्व दें। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि खेलकूद में भाग लेने से बच्चों में आत्मविश्वास, समानता, समूह भावना और सहनशीलता के साथ-साथ साझेदारी और देखभाल की भावना भी समाहित होती है।