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Wednesday 6 February 2019 02:21:42 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए जनता के जनादेश का सम्मान करना बहुत महत्वपूर्ण है, हमें इसका सम्मान करना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए एक ईमानदार सरकार, स्पष्ट विजन और प्रतिबद्ध नेतृत्व की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने ये विचार आज उनसे मिलने आए थाणे महाराष्ट्र के रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के स्थापित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप के छात्र समूह से बातचीत के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत को समझना, आम जनता के साथ बातचीत करना और युवाओं की बदलती हुई आकांक्षाओं का पता लगाना सार्वजनिक जीवन में आकांक्षा रखने वाले लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सार्वजनिक जीवन में भविष्य बनाने वाले छात्रों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए प्रत्येक संस्थान की भूमिका, जिम्मेदारी और लोकतंत्र में उनकी कार्यप्रणाली के महत्व की अच्छी समझ की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में विभिन्न आकांक्षाओं वाली 130 करोड़ से भी अधिक की आबादी शामिल है। वेंकैया नायडू ने इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेटिक लीडरशिप जैसे विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थानों से छात्रों में उनके स्कूल के दिनों से ही ऐसे गुणों को विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को लोकतांत्रिक गणराज्य की कार्यप्रणाली को समझाने और उन्हें संसदीय प्रणाली से परिचित कराना भी बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक जागरुक नागरिक, एक जीवंत और जिम्मेदार समाज, एक मजबूत संस्थागत ढांचा और जिम्मेदार नौकरशाही देश को भूख से मुक्त बनाने, अत्याचारों से मुक्त करने, असमानताओं से मुक्त करने और जाति, लिंग एवं धर्म आधारित भेदभाव से मुक्त करने की दिशा में भारत का महत्वपूर्ण प्रयास है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने देश के दूरदराज के हिस्से में रहने वाले अंतिम व्यक्ति को भी किसी परेशानी से मुक्त सेवा सुनिश्चित करने के लिए शासन प्रणालियों में प्रौद्योगिकी को शामिल करने वाली प्रणालियों को मजबूत बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उपराष्ट्रपति ने इच्छा जाहिर की कि युवा आधुनिक दुनिया में उभर रही नई-नई चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाएं। उन्होंने युवाओं से अपने मस्तिष्क को लोकतांत्रिक बनाने को कहा, जो नए विचारों को ग्रहण करें और दूसरों के विचारों के प्रति सहिष्णु भी हों। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ विनय सहस्रबुद्धे और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।