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Tuesday 19 February 2019 04:59:52 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पहले स्थापना दिवस पर व्याख्यान दिया, जिसका विषय था ‘संविधान और जनजातियां’। एनसीएसटी की स्थापना संविधान (89 में संशोधन) अधिनियम के माध्यम से 19 फरवरी 2004 को की गई थी। उपराष्ट्रपति ने व्याख्यान में कहा कि हमें जनजातियों को पिछड़ा मान लेने की भ्रांति को त्यागना होगा, प्रत्येक जनजाति की एक समृद्ध और जीवंत सांस्कृतिक परंपरा है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए, क्योंकि यह हमारी संवैधानिक मान्यता भी है, हम स्थायी विकास के तरीके खोज रहे हैं और ये समूह हमें स्थायी विकास के पाठ पढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया का हर जनजातीय समुदाय किसी न किसी रूपमें प्रकृति की पूजा करता है, उनकी उपासना की विधियां भिन्न हो सकती हैं, लेकिन प्रकृति में उनकी आस्था एक समान और मजबूत है, अनेकता में एकता का इससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं हो सकता। उपराष्ट्रपति ने सावधान भी किया कि जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के नाम पर उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा से अलग-थलग नहीं करें।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस संदर्भ में जनधन, मुद्रा और स्टैंडअप इंडिया जैसे वित्तीय समावेशन के लिए सरकार के अनेक कदमों का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने जनजातीय क्षेत्रों के बारे में सुझाव दिया कि हमारे संवैधानिक प्रावधान के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र वाले प्रत्येक राज्य के राज्यपाल, उस राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन पर राष्ट्रपति को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं, ये रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण होती है, इसे विचार-विमर्श हेतु संसद के दोनों सदनों के सभा पटल पर भी रखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने जनजातीय मामलों के लिए अलग मंत्रालय और अलग राष्ट्रीय आयोग का गठन किया था। उपराष्ट्रपति ने इस दौरान जनजातीय स्वाधीनता संग्राम नाम से एक पुस्तक का विमोचन किया और एनसीएसटी लीडरशिप अवार्ड्स भी प्रदान किए। अवॉर्ड पाने वालों में आस-पास के राज्यों में केजी से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तकके आदिवासी बच्चों की शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान केलिए कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज भुवनेश्वर ओडिशा, अनुसूचित जनजाति के बच्चों में खेल को बढ़ावा देने केलिए सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड रांची झारखंड और जनजातीय कल्याण अधिकारी-अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में विशेष रूपसे कमजोर जनजातीय समूहों जैसे ओंगेस, शॉम्पेंस, अंडमानी और जारवास के प्रति उल्लेखनीय योगदान केलिए डॉ प्रणब कुमार सिरकार अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति प्रमुख थी।
वेंकैया नायडू ने जनजातीय समुदायों की लंबी लोकतांत्रिक जीवनशैली के बारे में कहा कि वे धरती पर सबसे पुराने लोकतांत्रिक लोग हैं। उन्होंने कहा कि पंद्रह वर्ष के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने देश की अनुसूचित जनजातियों के हितों के रक्षा उपायों के लिए काफी कार्य किया है, वंचित वर्गों के लिए यह आशा की किरण है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि हमें स्थानीय जनजातीय समुदायों के प्रति अपनी अवधारणा को बदलना होगा, ये जीवंत समाज और आकांक्षी समाज है, इसकी जीवित परंपराएं हैं, जिनसे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत तेज़ी से बदल रहा है, आज हम विश्व की सबसे तेज़ अर्थव्यवस्था हैं, विश्व बैंक, आईएमएफ जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भारत की प्रगति में विश्व की उन्नति देख रही हैं, ऐसे में देश की एक बड़ी जनजातीय जनसंख्या की आकांक्षाओं को कैसे नज़रंदाज किया जा सकता है? आज इन वर्गों के युवा नव कौशलों में प्रशिक्षण ले रहे हैं, जिनको सरकारी नौकरियों में आरक्षण देकर प्रशासन की मूलधारा में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनसीएसटी को इन पहलों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को देश की वित्तीय समावेशन व्यवस्था के दायरे में लाने के लिए अपेक्षित उपायों पर सुझाव दे सकें, यह जनजातियों को सशक्त बनाने की ओर महत्वपूर्ण योगदान होगा।
जनजातीय मामलों के मंत्री जुआल ओराम ने 1999 में नए जनजातीय मामलों के मंत्रालय और 2004 में एनसीसटी के गठन में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार देशभर के आदिवासी क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाओं को शुरू करने के कार्य को प्राथमिकता दे रही है। एनसीएसटी के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों के कल्याण और बेहतरी के लिए एनसीएसटी के विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। स्थापना दिवस समारोह में गुजरात और राजस्थान से मवेशी भील नृत्य के रूपमें समृद्ध जनजातीय सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया गया। एनसीएसटी की उपाध्यक्ष अनुसुइया उइके ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।