स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 18 March 2013 06:48:10 AM
लखनऊ। सपा सरकार का एक साल पूरे होने पर रिहाई मंच ने यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में आयोजित सम्मेलन में सरकार को वादा खिलाफ सांप्रदायिक और सामंती करार दिया। इस दौरान मंच ने सपा सरकार के शासन में हुए दंगों में सरकारी मशीनरी की भूमिका पर ‘मुसलमानों को न सुरक्षा, न निष्पक्ष विवेचना न न्याय’ रिपोर्ट को जारी करते हुए प्रदेश सरकार के विधानसभा में तस्दीक किए गए 27 सांप्रदायिक दंगों की सीबीआई जांच कराने की मांग की।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अवामी काउंसिल के महासचिव व रिहाई मंच नेता असद हयात ने कहा कि पुलिस ने दंगों से जुड़े मुकदमों की विवेचना निष्पक्षता पूर्वक नहीं की जा रही है। वरुण गांधी से संबधित मुकदमें में सरकारी वकील की भूमिका अभियोग पक्ष को मजबूत करने की न होकर बचाव पक्ष को लाभ पहुंचाने की रही, तो वहीं पिछले दिनों सीओ जिया उल हक की हत्या के बाद चर्चा में आए अस्थान प्रतापगढ़ सांप्रदायिक हिंसा में प्रवीण तोगड़िया के भड़काऊ भाषण देने और उसके नतीजे में उनकी मौजूदगी में मुसलमानों के घर लूटने और आगजनी की घटनाओं में उन्हें अभियुक्त नहीं बनाया गया। फैजाबाद, कोसी कलां, अस्थान, बरेली, डासना, मसूरी समेत सभी सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की जांच सीबीआई से कराया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इन दंगों में पुलिस स्वयं एक पक्षकार की भूमिका में रही है, जो अपने ही विरुद्ध पाए जाने वाले सबूतों को न केवल मिटा रही है, बल्कि गवाहों को भी प्रताड़ित कर निष्पक्ष जांच को प्रभावित कर रही है। कोसी कलां के खालिद और भदरसा फैजाबाद के सद्दू पर रासुका लगाना अन्यायपूर्ण है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरडी निमेश जांच आयोग की रिपोर्ट जारी न करने के खिलाफ वह कोर्ट जाएंगे।
रिहाई मंच के महासचिव व पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसआर दारापुरी ने कहा कि सपा सरकार में मुसलमानों, दलित-वंचित तबकों पर सामंती हमले बढ़े हैं। मुलायम सिंह यादव को जनता ने पूर्ण बहुमत देकर नए तरह का सामंती निजाम तोहफे में दिया है, इन तबकों पर होते जुल्म को देख कर ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश सामंती युग में चला गया है, जहां सरकार आम जनता के बजाय सामंती ताकतों के पक्ष में काम कर रही है। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के नेता और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह ने कहा कि कुंडा के सीओ जिया उल हक की हत्या साबित करती है कि सामाजिक न्याय के नाम पर वोटों की सौदागरी करने वाली सपा सरकार रघुराज प्रताप सिंह जैसे सामंतों से लड़ने वालों को बर्दाश्त नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि सपा की अवसरवादी धर्मनिरपेक्षता, मोदी के फासीवाद से नहीं लड़ी जा सकती, ऐसे में जरुरी हो जाता है कि तमाम धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतें एक नए विकल्प की तैयारी करें।
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने सम्मेलन में अफजल गुरु के जेल से भेजे गए पत्र को पढ़ा, जिसमें उन एसटीएफ और खुफिया विभाग के अधिकारियों का जिक्र था, जिन्होंने उन्हें संसद हमले में फंसाया और फांसी तक पहुंचा दिया। उन्होंने आगाह किया कि अंधराष्ट्रवाद के नाम पर जिस तरह कांग्रेस भावनाओं को भड़का रही है, वो देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुस्लिम मशावरत के महासचिव मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि अब देश को सोनिया और मुलायम जैसे सांप्रदायिक और अमरीका के इशारों पर घुटने टेकने वाले लोगों के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि मशावरत दिसंबर में आतंकवाद के नाम पर निर्दोष को फंसाने वाली राजनीत पर श्वेत-पत्र लाएगी। उन्होंने कहा कि इससे भाजपा समेत तमाम कथित सेक्युलर पार्टियां आवाम के बीच नंगी हो जाएंगी।
एपवा नेता ताहिरा हसन ने कहा कि एक गुंडा जिसको हर बार सपा सरकार जेल से निकालकर कभी जेल मंत्री बनाती है तो कभी हत्याओं की खुली छूट देती है वह न राजा है न भैया है, क्योंकि लोकतंत्र में न कोई राजा होता है न कोई ऐसा भाई होता है जो किसी बहन का सुहाग उजाड़ दे और जिसके गुंडे सरेआम बलात्कार करते हों। उन्होंने मीडिया से अपील करते हुए कहा कि वह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, इसलिए वह लोकतांत्रिक मूल्यों का परिचय देते हुए रघुराज प्रताप को राजा भैया न लिखे। आतंकवाद के नाम पर कैद लखनऊ के फरहान की बहन साइमा सम्मेलन में मौजूद थी, जिसने कहा कि सपा हुकूमत से उम्मीद थी, कि उनके भाई छूट जाएंगे, लेकिन बेगुनाहों को छोड़ने के अपने चुनावी वादे से मुकरने से उन जैसे तमाम परिवारों को निराशा हुई है, जिनके बच्चे बिना किसी जुल्म के आतंकवाद के मामले में बंद किए गए हैं। मौलाना मोहम्मद जमील ने कहा कि कुछ उलेमा और मुस्लिम नेता हुकूमत के इशारे पर बेगुनाहों को छुड़वाने के नाम पर जनता को गुमराह कर रहे हैं, जिससे जनता को चौकन्ना रहना होगा।
सम्मेलन में मौजूद राष्ट्रीय मुस्लिम संघर्ष मोर्चा के नेता आफताब खान ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगे के विरोध में तमाम सिख सांसदों ने संसद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन 27 दंगे और बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर आजम खान और अहमद हसन जैसे तमाम नेताओं की जबान नहीं खुलती और वे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुलायम जैसे फिरकापरस्त नेताओं के साथ चिपके रहते हैं। उन्होंने कहा कि सपा के तमाम मुस्लिम सांसदों और विधायकों को अवाम से यह बताना चाहिए कि इतना कुछ हो जाने के बावजूद वे सपा में क्यों बने हुए हैं? रिहाई मंच इलाहाबाद के संयोजक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि साल भर में तीन हजार बलात्कार, चार हजार हत्याएं और 27 दंगे कराने वाली सरकार ने प्रदेश में गुंडा राज कायम कर दिया है, जिसे 2014 में जनता सबक सिखाएगी।
सम्मेलन की अध्यक्षता रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने की और संचालन रिहाई मंच आजमगढ़ के संयोजक मसीहुद्दीन संजरी ने किया। सम्मेलन को सोशलिस्ट फ्रंट आफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आफाक, अनिल आजमी, मोहम्मद आरिफ, जहांगीर आलम कासमी, मोहम्मद समी, दिनेश सिंह, केके वत्स, रणधीर सिंह सुमन इत्यादि ने संबोधित किया। सम्मेलन में बलबीर यादव, अबु जर, गुफरान, सैयद मोईद अहमद, आफताब, प्रबुद्ध गौतम, शुभांगी, आसमा, अंकित चौधरी, सीमा, संदीप दूबे, विवेक गुप्ता, सादिक, संजीव पांडे, समीना बानो, बाबी रमाकांत, इश्हाक, बृजेश पांडे, शोभा, योगेंद्र यादव, शाहनवाज आलम, राजीव यादव आदि शामिल थे।