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Wednesday 6 March 2019 12:28:42 PM
गुवाहाटी। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने असम के धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली के तहत बीओएलडी-क्यूयूआईटी यानी बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्शन तकनीक परियोजना का उद्घाटन किया। गौरतलब है कि 10 किलोमीटर तक भारत-पाकिस्तान सीमा और 61 किलोमीटर तक भारत-बांग्लादेश सीमा पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली की दो परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। सीआईबीएमएस परियोजना से अवैध घुसपैठ, प्रतिबंधित सामानों की तस्करी, मानव तस्करी और सीमा पार आतंकवाद जैसे अपराधों का पता लगाने और उन्हें नियंत्रित करने में बीएसएफ की क्षमता में काफी सुधार आएगा। वस्तुगत रूपसे बाड़ न हो पाने वाले लगभग 1950 किलोमीटर वाली सीमा के लिए चरण दो और चरण तीन शुरु करने का काम भी जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा भी मौजूद थे।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि सितम्बर 2018 में सीआईबीएमएस कार्यक्रम के तहत जम्मू में स्मार्ट सीमा फैंसिंग की दो पायलट परियोजनाओं का संचालन किया गया था। उन्होंने कहा कि धुबरी में बीओएलडी-क्यूआईटी परियोजना को नदी की सीमा के साथ-साथ लागू किया गया है, क्योंकि वहां सीमा फैंसिंग का निर्माण संभव नहीं था, धुबरी में यह 61 किलोमीटर लंबा सीमा क्षेत्र है, जहां ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, इस क्षेत्र में बरसात के दौरान सीमा की रखवाली का कार्य चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को हल करने के लिए गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल की मनाव शक्ति की क्षमता को बढ़ाने के लिए तकनीकी समाधान का उपयोग करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सीआईबीएम के हिस्से के रूप में ही इन दो परियोजनाओं को शुरू किया गया था, इस परियोजना के कार्यांवयन से मानव शक्ति सेंसर, नेटवर्क खूफिया, कमांड के एकीकरण और विभिन्न स्तरों पर जनजागरुकता में सुधार लाने के लिए समाधानों को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।
सीआईबीएमएस में अति आधुनिक निगरानी तकनीकियों की श्रृंखला की तैनाती शामिल है, जिसमें थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रारेड और लेजर आधारित घुसपैठिए अलार्म, हवाई निगरानी के लिए एयरोस्टेट्स, ग्राउंड सेंसर घुसपैठ के प्रयासों का पता लगाने और रडार, सोनार प्रणाली, नदी के साथ-साथ सीमाओं को सुरक्षित बनाने, फाइबर ओप्टिक सेंसर और कमांड तथा नियंत्रण प्रणाली सभी वास्तविक समय में सभी निगरानी उपकरणों से डाटा प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेंगी। भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीआईबीएमएस परियोजनाओं के कार्यांवयन से सीमा सुरक्षा बल की क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी। सीआईबीएमएस की परियोजनाओं में-जम्मू और असम में पायलट परियोजनाएं पूरी हो गई हैं, भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ 4 पैच में 153 किलोमीटर योजना और 67 पैच में 1802 किलोमीटर की शुरुआत हो गई है। परियोजना का चरण-I पायलट आधार पर पूरा हो गया है। पहले चरण की समीक्षा एक स्वतंत्र तीसरी पार्टी ऑडिटर आईआईटी दिल्ली के माध्यम से की जाएगी। तीसरे और चौथे चरण में मुख्य रूपसे नदी, डेल्टा और मुहाना क्षेत्र, जलयुक्त और दलदली क्षेत्र, क्रीक क्षेत्र, भारी कोहरे के कारण नाजुक मैदानी क्षेत्र, सीमा पर घनी आबादी वाले क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्र, उष्णकटिबंधीय जंगल क्षेत्र और रेगिस्तान लक्षित हैं।