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Wednesday 13 March 2019 03:17:42 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आईआरएस प्रशिक्षु अधिकारियों को सलाह देते हुए कहा है कि वे नैतिकता और उत्कृष्टता को अपना सिद्धांत बनाएं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कर प्रशासन में सुधार और जीएसटी जैसे प्रशासनिक उपायों से कर प्रशासन की प्रणाली में बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभी प्रशासकों को दी गई सलाह सुधार, प्रदर्शन और बदलाव का उदाहरण देते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं से कहा कि उनके पास योग्यता और अवसर है, वे अपने प्रदर्शन से देश में व्यापक बदलाव ला सकते हैं। भारतीय राजस्व सेवा के 72वें बैच के 173 प्रशिक्षु अधिकारियों ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से उनके आवास पर मुलाकात की और उनके साथ अपने अनुभवों को साझा किया।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के कर प्रशासन में कई सुधारात्मक बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि विमुद्रीकरण का एक प्रमुख परिणाम है डिजिटल लेनदेन, ऐसे लेनदेन में डिजिटल साक्ष्य मौजूद होते हैं, जिसकी निगरानी राजस्व विभाग कर सकता है। उन्होंने कहा कि टैक्स अधिकारी के रूपमें वे डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देकर डिजिटल माध्यम का चयन करने के लिए व्यापारियों को कुछ छूट भी दे सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं से कहा कि कौटिल्य ने कहा था कि राजकोष सत्ता का आधार होता है, यही आयकर विभाग का लक्ष्य है, आपके पास यह अवसर है कि आप संसाधनों के कुशल उपयोग से देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाएं। उन्होंने कौटिल्य का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार को कर संग्रह एक मधुमक्खी की तरह करना चाहिए, मधुमक्खी उतनी ही मात्रा में पुष्प रस संग्रह करती है, जिससे कि दोनों का जीवन चलता रहे। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारी कर प्रणाली आसान, पारदर्शी, पूर्वानुमान आधारित हो।
वेंकैया नायडू ने प्रशिक्षुओं से कहा कि वे देश की अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण समय में अपनी सेवा की शुरुआत कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने उन्हें सलाह दी कि वे भारत को व्यापार अनुकूल बनाएं और देश को उद्यमी अनुकूल कर प्रणाली और लोककेंद्रित कर प्रशासन प्रदान करें। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज़गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, मंहगाई दर निम्न स्तर पर है, विकास दर अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज है, इसलिए भारत कारोबार करने के लिए सबसे अच्छी जगह है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार कर प्रशासन में डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है, इस वर्ष के अंतरिम बजट में सरकार ने एक टेक्नोलॉजी वृद्धि कर परियोजना का प्रस्ताव रखा है, ताकि आयकर विभाग को अधिक पहुंच अनुकूल बनाया जा सके, ऐसा प्रस्ताव रखा गया कि सभी रिटर्न 24 घंटे में प्रोसेस कर लिए जाएं और रिफंड साथ-साथ जारी कर दिया जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह भी आवश्यक है कि राजस्व अधिकारियों को प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण दिया जाए और उनका टेक्नोलॉजी कौशल बढ़ाया जाए। उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि हमारे प्रयासों ने कर शासन को आसान पारदर्शी और पूर्वानुमान योग्य बनाया है तथा हमें उम्मीद है कि वे भी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कर प्रशासन को आसान बनाएंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी दुनिया का इकलौता सबसे बड़ा कर सुधार है, जिसने भारत को कर बाधाओं के बिना एकल बाजार में बदल दिया है, यह सहकारी संघवाद का अच्छा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि लगातार दर कम होने और छूटों के बावजूद जीएसटी संग्रह उत्साहजनक है, 2018-19 के दौरान औसत मासिक कर संग्रह 97,100 करोड़ प्रति माह था, जबकि पहले वर्ष में यह प्रति माह 89,700 करोड़ रुपये था, इससे साबित होता है कि कम कर दरों के साथ एक आसान, पूर्वानुमान लगाने योग्य कर शासन से बेहतर कर अनुपालन और बेहतर राजस्व वसूली सुनिश्चित हुई है।