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दिल्ली में भारत केंद्रित ऊर्जा प्रारूपण पर चर्चा

नीति आयोग और अंतर्राष्‍ट्रीय विकास एजेंसी की कार्यशाला

ऊर्जा विकल्‍पों एवं पर्यावरण संरक्षण पर हुआ विचार-विमर्श

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 15 March 2019 02:24:40 PM

workshop of policy commission and international development agency

नई दिल्ली। भारत सरकार के नीति आयोग और संयुक्‍त राज्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय विकास एजेंसी ने भारत ऊर्जा प्रारूपण फोरम की पहली कार्यशाला आयोजित की। यह फोरम भारत के ऊर्जा भविष्‍य के संबंध में विचारों के आदान-प्रदान, परिदृश्‍य परिचर्चा और योजना निर्माण के लिए एक मंच उपलब्‍ध करता है। पैसिफिक नॉर्थ वेस्‍ट नेशनल लैबोरेटरी के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्‍यक्षता नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ राजीव कुमार तथा यूएसएआईडी इंडिया के मिशन डायरेक्‍टर मार्क ए व्‍हाइट ने संयुक्‍त रूपसे की। आईईएमएफ विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को ऊर्जा तथा पर्यावरण के मुद्दों पर विचार करने का एक मंच है। फोरम का लक्ष्‍य भारत सरकार तथा नीति निर्माताओं एवं विशेषज्ञों के बीच आपसी सहयोग और समन्‍वय को बेहतर बनाना है। फोरम ने भारतीय संस्‍थानों के क्षमता निर्माण और शोध के लिए भविष्‍य के क्षेत्र की पहचान करने का भी लक्ष्‍य निर्धारित किया है।
भारत ऊर्जा प्रारूपण फोरम कार्यशाला में आठ विशेषज्ञ सत्र हुए, जिनमें भारत केंद्रित ऊर्जा प्रारूपण पर चर्चा हुई। सत्र में इस विषय पर भी परिचर्चा हुई कि भारत के ऊर्जा प्रारूपण और विश्‍व के ऊर्जा प्रारूपण, किस प्रकार नीति निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। पैनल विशेषज्ञों ने ग्रामीण-शहरी विभेद को कम करने पर विशेष जोर दिया। विशेषज्ञों ने कहा कि व्‍यावहारिक ऊर्जा मॉडल के लिए ऊर्जा खपत और स्‍थानीय स्थिति पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा कि भारत केंद्रित मॉडल में भारत के नगरों, उद्योगों और परिवहन क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए। भारत के ऊर्जा भविष्‍य के लिए विद्युत आधारित परिवहन व्‍यवस्‍था, नवीकरणीय ऊर्जा विकल्‍पों तथा पर्यावरण की चिंताओं का भी ध्‍यान रखा जाना चाहिए।
केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने ऊर्जा उत्‍पादन और खपत के संदर्भ में सामाजिक, पर्यावरण और आर्थिक लागत पर विशेष बल दिया। प्रतिनि‍धियों ने कहा कि भविष्‍य के ऊर्जा संबंधी नीति निर्माण के लिए इन लागतों का सटीक आकलन किया जाना चाहिए। कार्यशाला में आवास और शहरी मामले मंत्रालय, पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, पीओएसओसीओ, ऊर्जा दक्षता ब्‍यूरो, केंद्रिय विद्युत प्राधिकरण, अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थान जैसे यूरोपीय संघ, जीआईजेड, डीएफआईडी, ईडीएफ, भारतीय शोध संस्‍थान सीईईडब्‍ल्‍यू, टीईआरआई, सीएसटीईपी, आईआरएडी, प्रयास, आईआईएम अहमदाबाद, एनआईटी भोपाल आदि के प्रतिनिधियों और ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भाग लिया।

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