स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 15 March 2019 03:32:47 PM
नई दिल्ली। भारतीय निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव और चार राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनावों के दौरान तैनान किए जानेवाले सभी तरह के पर्यवेक्षकों को चुनाव तैयारियों की जानकारी देने के लिए उनके साथ बैठक की, जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय राजस्व सेवा तथा अन्य केंद्रीय सेवाओं के अधिकारियों ने भाग लिया, इन्हें सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों के रूपमें नियुक्त किया गया है। पर्यवेक्षकों को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका समझाते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि अधिकारियों को अपनी बेहतरीन सेवाएं देनी हैं, उनके लिए यह सुनिश्चित करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है कि कोई गलती न हो। सुनील अरोड़ा ने कहा कि कुछ राज्यों में हाल में हुए चुनावों में किए गए अच्छे कामों के साथ ही, ईवीएम-वीवीपीएटी प्रक्रियाओं के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करने में हुई अनियमितताओं या मतदाता सूची से कुछ नामों के गायब होने या वोटों की गिनती में देरी जैसी खामियों के छोटे मोटे प्रतिशत को भी निर्वाचन आयोग ने संज्ञान में लिया है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अधिकारियों से कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सशक्त बनाने के लिए 1950 में एक अनूठी संस्था के रूपमें अस्तित्व में आने के बाद से ही निर्वाचन आयोग विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारियों को साथ लेकर परिभाषित कर्तव्यों के अनुसार चुनाव कराने में मदद कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि पर्यवेक्षकों के रूपमें वे अपने दायित्वों का पूरी ईमानदारी के साथ निर्वहन करें। सुनील अरोड़ा ने कहा कि बदले हुए समय के साथ चुनाव में पैसे की ताकत और सोशल मीडिया का दुरुपयोग नई चुनौतियां पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का प्रयास न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है, बल्कि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी, स्वच्छ और नैतिक बनाए रखना भी है। सुनील अरोड़ा ने अधिकारियों से कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षकों के रूपमें उन्हें आयोग की आंख और कान की तरह काम करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि मतदाओं को प्रलोभन देने के लिए नित नए तरीके अपनाए जा रहे हैं, व्यय पर्यवेक्षकों की भूमिका और भी अहम हो जाती है।
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने कहा कि पर्यवेक्षकों के रूपमें सभी को आयोग के निर्देशों का कार्यांवयन सुनिश्चित करना है। उन्होंने इस मौके पर हाल ही में जारी किए गए सीविजिल ऐप का जिक्र करते हुए कहा कि इसने प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने में मदद की है, ताकि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर आयोग को सतर्क नज़र रखने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि इस ऐप की उपलब्धता ने निर्वाचन प्रणाली की देखरेख और प्रबंधन करने वाले अधिकारियों पर भी अधिक जिम्मेदारी डाल दी है। उन्होंने कहा कि कि पर्यवेक्षकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह चुनाव प्रक्रिया में सभी हितधारकों के लिए पूरी सुविधाएं सुनिश्चित करें, क्योंकि असलियत में पर्यवेक्षक निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि हैं। सत्र के दौरान उपचुनाव आयुक्तों और महानिदेशकों ने चुनाव प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में अधिकारियों को व्यापक और गहन जानकारी दी। चुनाव की योजना, प्रेक्षक की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों, मतदाता सूची के मुद्दों, आदर्श आचार संहिता के प्रवर्तन, कानूनी प्रावधानों, ईवीएम/ वीवीपीएटी प्रबंधन, मीडिया की कार्यप्रणाली और आयोग के प्रमुख व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी कार्यक्रम के तहत मतदाता सुविधा गतिविधियों पर विस्तृत विषयगत प्रस्तुतियां दी गईं।
मतदाताओं की सुविधा के लिए पर्यवेक्षकों को चुनाव आयोग की विभिन्न आईटी पहलों और मोबाइल अनुप्रयोगों के साथ क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया के प्रभावी और कुशल प्रबंधन से भी परिचित कराया गया। पर्यवेक्षकों को इस अवसर पर ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों के कामकाज की सजीव जानकारी दी गई और उन्हें बताया गया कि ये मशीनें किस तरह से पूरी तरह सुरक्षित, मजबूत और विश्वसनीय हैं तथा इनके साथ किसी तरह की छेड़-छेड़छाड नहीं की जा सकती। पर्यवेक्षकों को आयोग ने विभिन्न राज्यों एवं संघशासित प्रदेशों के लिए चुनाव प्रबंधन से संबधित विभिन्न प्रकाशनों की जानकारी भी उपलब्ध कराई। निर्वाचन आयोग ने पहलीबार पर्यवेक्षक ऐप के नाम से नया मोबाइल एप भी शुरु किया है, जिसके जरिए सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट सीधे निर्वाचन आयोग को भेज सकते हैं। दूसरी ओर ड्यूटी पर रहते हुए सभी पर्यवेक्षक इस मोबाइल ऐप के जरिए चुनाव आयोग की ओर से प्रेषित की जाने वाली अधिसूचनाएं और अत्यावश्यक संदेश प्राप्त कर सकते हैं। इसके माध्यम से पर्यवेक्षक अपनी नियुक्ति के क्षेत्र के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं, वे अपना पहचानपत्र डाउनलोड कर सकते हैं या उसका नवीकरण कर सकते हैं। इस ऐप के जरिए पर्यवेक्षक अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले सभी ई-विजिल मामलों पर भी नज़र रख सकते हैं।