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Thursday 11 April 2019 05:40:14 PM
लखनऊ। सीएसआईआर-एनबीआरआई लखनऊ में आज समर प्लांट साइंस फेस्ट का उद्घाटन हुआ, जिसमें इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस बीएचयू वाराणसी के निदेशक प्रोफेसर एके त्रिपाठी मुख्य अतिथि के रूपमें उपस्थित थे, अन्य गणमान्य अतिथियों में प्रोफेसर आलोक धवन निदेशक सीएसआईआर-आईआईटीआर लखनऊ और प्रोफेसर वीपी कम्बोज भूतपूर्व निदेशक सीएसआईआर सीडीआरआई लखनऊ आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत 'पादप अनुसंधान में नए आयाम' विषय पर दो दिवसीय हिंदी संगोष्ठी से हुई। संगोष्ठी में पांच सत्रों में 40 प्रस्तुतियों के जरिए प्रतिभागियों ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए। पहले दिन तीन सत्रों में विभिन्न विषयों पर 25 शोधपत्र प्रस्तुत किए गए।
प्रोफेसर एके त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि विज्ञान निरंतर प्रगति करता है, अतः हमें निरंतर इसके नए-नए आयामों की खोज के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान होने के नाते राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है, यह सुनिश्चित करने की कि हमारे देश में वनस्पति विज्ञान की दिशा एवं दशा क्या होगी? उन्होंने कहा कि हमें युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में लाने के लिए विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही विषय सामग्री को नियमित रूपसे जांचना होगा और आवश्यकता व समयानुसार संशोधित करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं में नवीन अनुसंधान कर पाने की असीम क्षमता और संभावनाएं हैं, जिसे पहचानने एवं प्रोत्साहित किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने नवीन वैज्ञानिक आयामों के अंतर्गत आनुवंशिक रूपसे सुधार की गई पादप प्रजातियों की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए ऐसी प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करने पर बल दिया, जिनका उपयोग भोजन के रूपमें न होता हो।
प्रोफेसर एके त्रिपाठी ने ऐसे पौधों के उदाहरण के रूपमें पर्यावरण प्रदूषण कम करने वाले पौधों में उनकी क्षमता बढ़ाने हेतु आनुवंशिक सुधार करने पर बल दिया, ताकि आगे चलकर भोजन के रूपमें प्रयुक्त होने वाली प्रजातियों के बाजार में आने से संबंधित चिंताओं को दूर किया जा सके। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर एसके बारिक ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य शोधार्थियों की छुपी हुई प्रतिभाओं को उजागर करना और उन्हें प्रोत्साहित करना है। उन्होंने आशा की कि अगले वर्ष इस कार्यक्रम को विस्तारित कर उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों को भी शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन डॉ विधू साने ने किया और राजभाषा समिति सचिव आनंद प्रकाश ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।