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Friday 12 April 2019 05:13:25 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि वित्तीय समावेश और समावेशी विकास समय की मांग हैं। उपराष्ट्रपति ने अंत्योदय पर विशेष जोर दिया और कहा कि विकास तबतक कोई मायने नहीं रखता है, जबतक कि इसके लाभ समाज के सबसे वंचित समूहों तक न पहुंच जाएं। उपराष्ट्रपति ने आज नई दिल्ली में पंजाब नेशनल बैंक के 125वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए ये विचार प्रकट किए। समारोह में उपराष्ट्रपति ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत प्रमुख एवं प्रेरणादायी भूमिका निभाने वाली शख्सियत लालालाजपत राय को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के सदस्यों का अभिनंदन किया। उन्होंने बढ़ती गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों अथवा फंसे कर्जों को ध्यान में रखते हुए भारतीय बैंकिंग सेक्टर में प्रणालीगत सुधार सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने समुचित जांच एवं संतुलन की कारगर और दक्ष प्रणाली स्थापित करने की जरूरत बताई, ताकि बैंकिंग प्रणाली में अंतर्निहित खामियों से बचा जा सके।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत के वित्तीय संस्थानों की सराहना पूरे विश्व में होती रही है, क्योंकि ये काफी सुदृढ़ हैं और इन संस्थानों ने वैश्विक स्तरपर छाई आर्थिक सुस्ती एवं मंदी का बड़ी मजबूती से सामना किया था। उन्होंने कहा कि बैंक अब महज एक मजबूत लॉकर नहीं रह गए हैं और न ही ये केवल जमा राशियों पर आकर्षक ब्याज देने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि बैंक अपनी पारंपरिक भूमिका से कहीं आगे निकल गए हैं और अब ये भारत की विकास गाथा में सबसे आगे रहते हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत में वित्तीय समावेश के साथ-साथ समावेशी विकास पर किए जा रहे फोकस में बैंकों ने केंद्रीय भूमिका निभाई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र बड़ी तेजी से विकास करेगा, क्योंकि देश में तेजी से आगे बढ़ता व्यवसाय और वाणिज्य क्षेत्र ऋणों के साथ-साथ अन्य वित्तीय सेवाओं की प्राप्ति के लिए बैंकों की ओर उन्मुख होगा। उन्होंने इन विकास संभावनाओं से जुड़े अनेक कारकों जैसेकि तेजी से विकसित होते मध्यम वर्ग और डिजिटल क्रांति को उद्धृत किया।
उपराष्ट्रपति ने बैंकिंग से जुड़ी डिजिटल प्रौद्योगिकियों जैसेकि तत्काल भुगतान सेवा, रुपे और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एवं इसपर आधारित मोबाइल एप भारत इंटरफेस फॉर मनी यानी भीम में भारत द्वारा हासिल की गई बढ़त का उल्लेख करते हुए कहा कि बैंकों को विश्वस्तरीय कारोबारी स्तर हासिल करने के लिए डिजिटल क्षेत्र में हुए विकास से और ज्यादा लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने नए एवं अभिनव कारोबारी मॉडलों जैसे पेमेंट बैंकों और छोटे फाइनेंस बैंकों का भी उल्लेख किया। वेंकैया नायडू ने बैंकों को ऋणों की मंजूरी से पहले एवं इसके बाद की प्रक्रियाओं में कठोर अनुशासन बनाए रखने का निर्देश दिया और उनसे कहा कि वे अहम जानकारियां प्राप्त करने से कोई समझौता न करें। उपराष्ट्रपति ने जानबूझकर कर्ज अदायगी में चूक या डिफॉल्ट करने के साथ धोखाधड़ी करने के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन लोगों और निकायों के खिलाफ त्वरित एवं कड़ी कार्रवाई करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बैंकों को सदैव कारोबारी नैतिकता और उचित कॉरपोरेट गवर्नेंस का सख्ती से पालन करना चाहिए। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि बैंकों को ग्राहकों को कर्ज देते समय बड़ी जवाबदेही के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नैतिकता को जोखिमभरी गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे और बुरे समय में ग्राहकों और अन्य हितधारकों का कल्याण किसी भी व्यवसाय में चिंता का प्रमुख विषय होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने इस संदर्भ में महात्मा गांधी को उद्धृत किया, जिन्होंने यह कहा था कि नैतिकता के बिना व्यवसाय सात घातक पापों में से एक है। इस अवसर पर पंजाब नेशनल बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता, पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अशोक पाल सिंह, सदस्य (नियोजन एवं एचआरडी), पोस्टल सर्विसेज बोर्ड और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।