स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 16 April 2019 02:47:38 PM
लखनऊ। विधानसभा के तिलक हॉल में उत्तर प्रदेश सचिवालय राजपत्रित अधिकारी संघ ने भारतरत्न बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर की जयंती पर एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूपमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक पधारे। कार्यक्रम के अध्यक्ष न्यायमूर्ति खेमकरन, विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त विशेष सचिव महेंद्र सिंह, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव हेमंत राव, सचिवालय राजपत्रित अधिकारी संघ के अध्यक्ष शिव गोपाल सिंह, संघ के बाकी पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे। अधिकारी संघ की ओर से राज्यपाल और अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर कहा कि देश में जनतंत्र का महोत्सव यानी लोकसभा चुनाव चल रहा है, चुनाव कराने के लिए सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती हैं, जिस कारण उनको अपना मतदान करने का अवसर नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी और अधिकारी भी मतदान से वंचित न हों, इसलिए वे पोस्टल बैलेट का प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि मतदान ड्यूटी में लगे अधिकारी और कर्मचारी पोस्टल बैलेट के लिए आवेदन करके जागरुक मतदाता का परिचय दें। राम नाईक ने कहा कि संविधान ने मतदान का अधिकार दिया है, जिसको निभाना प्रत्येक मतदाता का दायित्व है, खुद भी मतदान करें और दूसरों को भी प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि मतदान सर्वश्रेष्ठ दान है।
राज्यपाल ने उल्लेख किया कि विधानसभा 2017 और नगरीय निकाय चुनाव में सर्वाधिक मतदान वाले केंद्रों से जुड़े लोगों का राजभवन में सत्कार किया गया था, उसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, मतदान केंद्र से सर्वाधिक मत प्रतिशत से जुडे़ लोगों का राजभवन में सत्कार किया जाएगा। राम नाईक ने कहा कि बाबासाहेब में असाधारण बौद्धिक क्षमता और दृढ़ संकल्प शक्ति थी, उन्होंने ज्ञान की शक्ति को पहचाना, स्वयं शिक्षा ग्रहण करने विदेश गए तथा दूसरों को भी शिक्षित होने के लिए प्रेरित किया, कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, समाज के उत्थान के लिए उन्होंने किताब, ग्रंथ और लेखों के माध्यम से देश और समाज में अपने संदेश पहुंचाए। राज्यपाल ने कहा कि संविधान के शिल्पकार होने के नाते उन्होंने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए ऐसे संविधान का निर्माण किया, जिस पर भारत का जनतंत्र आज तक सफलता से चल रहा है। उन्होंने कहा कि सभीजन बाबासाहेब के विचारों पर चलने का संकल्प लें।
राम नाईक ने उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में आने पर उनके संज्ञान में आया कि डॉ आंबेडकर का सही नाम लिखा-पढ़ी में नहीं लिया जाता है, इस दृष्टि से सबूत के तौर पर डॉ आंबेडकर द्वारा स्वःहस्ताक्षरित संविधान की मूल प्रति मंगाकर देखा गया, जिसमें डॉ आंबेडकर ने स्वयं अपना पूरा नाम लिखा था भीमराव रामजी आंबेडकर। राज्यपाल ने कहा कि यही नहीं बाबासाहेब की जन्मशताब्दी के अवसर पर भी भारत सरकार ने उनके नाम पर जारी डाक टिकट पर भी वही नाम लिखा था जो उनके हस्ताक्षर के रूपमें संविधान की मूल प्रति पर है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अध्यादेश के माध्यम से उनका सही नाम करने की प्रक्रिया पूरी की।
आंबेडकर जयंती कार्यक्रम के अध्यक्ष न्यायमूर्ति खेमकरन ने कहा कि राजनैतिक लोकतंत्र का आधार सामाजिक लोकतंत्र है, बाबासाहेब ने समानता और भाईचारे का संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिए संविधान का रास्ता ही सबसे उचित है। विशिष्ट अतिथि महेंद्र सिंह ने कहा कि डॉ आंबेडकर समानता और समता मूलक समाज के पक्षधर थे, उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के द्वारा उनके सामाजिक विकास को प्राथमिकता दी, उनका मानना था कि महिलाओं के विकास से ही देश का विकास होगा। कार्यक्रम में और भी वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।