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Tuesday 19 March 2013 10:51:13 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय खान मंत्री दिनशा जे पटेल ने खान मंत्रालय के एक कार्यक्रम में मंगलवार को भू-वैज्ञानिकों को उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार 2011 प्रदान किए। ये पुरस्कार मूल और व्यवहारिक भू-विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए गए हैं। खान मंत्री ने विभिन्न सरकारी विभागों और संस्थानों के 19 भू-वैज्ञानिकों को इस राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बधाई दी। उन्होंने कृषि तथा पेय जल की बढ़ती मांग के दृष्टिगत आगामी वर्षों इसकी कमी से निपटने के लिए सूखे की आशंका वाले क्षेत्रों में भू-वैज्ञानिकों से भू-जल के नये भंडार का पता लगाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि इससे खास तौर पर महिलाओं को मदद मिलेगी, जो रेगिस्तानी, तटीय और पठारी क्षेत्रों में दूरदराज से पेय जल ले कर आती हैं। खान मंत्री ने पेय जल में जहरीले तत्वों की समस्या से निपटने के लिए भू-वैज्ञानिकों से गहन अध्ययन और उपाय करने को कहा। उन्होंने पश्चिम बंगाल में जल में आर्सेनिक, गुजरात, असम और अन्य इलाकों में फ्लोराइड और हिमालय के निचले पर्वतीय इलाकों में आयोडिन की कमी जैसे समस्यों का उदाहरण दिया।
उन्होंने औद्योगिक कचरे से होने वाले भू-जल प्रदूषण के निदान के लिए भी प्रयास करने को कहा, और कहा कि देश में लौह, क्रोमाइट, बॉक्साइट इत्यादि के प्रचूर भंडार हैं, लेकिन यहां निकेल, पीजीई, रॉक फॉस्फेट और स्वर्ण की कमी है। उन्होंने कहा कि इन वस्तुओं के आयात में हमारी विदेशी मुद्रा का बहुत अधिक खर्च होता है। इस दिशा में शोध और अनुसंधान करने और नई प्रौद्योगिकी विकसित करने की आवश्यकता है, जो अल्प श्रेणी के अयस्कों के दोहन में हमारी मदद करें। उन्होंने भू-वैज्ञानिक समुदाय से गहराई में स्थित खनिज भंडारों की खोज के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करने को कहा। देश की ऊर्जा सुरक्षा पर जोर देते हुए खान मंत्री ने भू-वैज्ञानिकों से तेल और गैस, कोयला, इग्नाइट और परमाणु खनिज पदार्थों के नये संसाधन की खोज करने को कहा।
इस अवसर पर खान सचिव आरएच ख्वाजा ने भी पुरस्कार प्राप्त करने वाले वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विज्ञान तथा शोध और विकास का लक्ष्य आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारना होना चाहिए, जिसमें कमजोर वर्ग और गरीब शामिल हैं, साथ ही इसका उद्देश्य स्वावलंबन सुनिश्चित करना है। शोध का उद्देश्य ऊर्जा, जल, जलवायु, प्राकृतिक खतरे, सतत विकास, वैज्ञानिक खनन इत्यादि होना चाहिए। नीति निर्धारकों को भू-वैज्ञानिक सूचना और ज्ञान को बढ़ावा देकर इन्हें विकासपरक योजनाओं और कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए।
राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार-2011 प्राप्त करने वालों की सूची
क्रम संख्या | पुरस्कार प्राप्तकर्ता | क्षेत्र | संगठन |
1 | प्रताप सिंह परिहार | खनिज पदार्थ खोज | एएमडीईआर |
2 | अश्विनी कुमार राय | खनिज पदार्थ खोज | एएमडीईआर |
3 | सईद जकाउल्ला | खनिज पदार्थ खोज | एएमडीईआर |
4 | सुरेश कुमार | खनिज पदार्थ खोज | एएमडीईआर |
5 | डॉ. एन पझामलई नाथन | खनिज पदार्थ खोज | जीएसआई |
6 | आर विजय कुमार | खनिज पदार्थ खोज | जीएसआई |
7 | जे प्रभाकर | खनिज पदार्थ खोज | जीएसआई |
8 | एस धनेन्द्रन | खनिज पदार्थ खोज | जीएसआई |
9 | राजीव रॉय | कोयला खोज | जीएसआई |
10 | डॉ. सुदीप भटाचार्य | कोयला खोज | जीएसआई |
11 | डॉ. सैबल चन्द्र मित्रा | कोयला खोज | जीएसआई |
12 | डॉ. बेक्कम वेंकेटेश्वर राव | भू-जल खोज | जेएनटी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद |
13 | डॉ. वीरेन्द्र कुमार सिंह | खनन प्रौद्योगिकी | सीआईएमएफआर, धनबाद |
14 | प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह चमयाल | मूल भू-विज्ञान | एमएस यूनिवर्सिटी, बड़ौदा |
15 | डॉ. विजय कुमार कोप्पारपु | मूल भू-विज्ञान | एसआरटीएम यूनिवर्सिटी, नांदेड़ |
16 | डॉ. प्रकाश कुमार | व्यावहारिक भू-भौतिकी | एनजीआरआई, हैदराबाद |
17 | डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव | भू-पर्यावरण अध्ययन | डब्ल्यूआईएचजी, देहरादून |
18 | डॉ. शांतनु सरकार | आपदा प्रबंधन | सीबीआरआई, रूड़की |
19 | डॉ. थंबन मेलोथ | भू-वैज्ञानिक अभियान | एनसीएओआर, गोवा |