स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 22 April 2019 02:51:58 PM
नई दिल्ली/ कोलंबो। भारत के पड़ोसी और मित्र देश श्रीलंका में धार्मिक उत्सव ईस्टर के दौरान सिलसिलेवार किए गए आठ ताबड़तोड़ आतंकवादी बम धमाकों की दुनियाभर में बेहद कड़े शब्दों में निंदा हो रही है। श्रीलंका में बम धमाकों में मरने वालों की संख्या तीन सौ के पार चली गई है। श्रीलंका में भयावह स्थिति को देखते हुए देश में आपातकाल लागू कर दिया गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से टेलीफोन पर बातचीत की है और हमले में मारे गए निर्दोष लोगों के लिए संवेदना व्यक्त करते हुए इसे निर्मम और पूर्व नियोजित बर्बर कृत्य करार दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा कि भारत इस संकट की घड़ी में श्रीलंका और उसके नागरिकों के साथ पूरी मजबूती एवं दृढ़ता के साथ खड़ा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये हमले हमारे देश और पूरी दुनिया में मानवता के सामने आतंकवाद की सबसे गंभीर चुनौती की याद दिलाते हैं। नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फिर से हर संभव सहायता के प्रस्ताव के साथ घायलों के उपचार के लिए सभी अभीष्ट सहायता की पेशकश की है। श्रीलंका ने कहा है कि इस घटना को अंजाम देने वाले छोड़े नहीं जाएंगे।
गौरतलब है कि श्रीलंका में गिरजाघरों और होटलों में ईस्टर पर प्रभु ईशु की प्रार्थना सभाओं और होटलों में आठ बम विस्फोटों में तीन सौ से ज्यादा देशी-विदेशी नागरिकों, महिलाओं और बच्चों की दर्दनाक मौतें हुईं हैं। चर्च में उस समय बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे, जिससे करीब चार सौ लोग घायल हुए हैं और कई की हालत अभी भी बेहद नाजुक है। यद्यपि अभी तक किसी हमलावर या आतंकवादी समूह ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है, तथापि शक जा रहा है कि इसमें इस्लामिक ज़ेहाद से जुड़े किन्हीं इस्लामिक आतंकवादियों या गुटों का हाथ है और हो ना हो, उनका संबंध न्यूज़ीलैंड की मस्ज़िद में एक हमलावर की गोलीबारी का कोई बदला हो, बहरहाल श्रीलंका सरकार ऐसे कई एंगल पर जांच कर रही है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंत्रिमंडल की आपात बैठक में घटना की स्थिति की समीक्षा की है। श्रीलंका में कर्फ्यू लगा है, स्कूल कॉलेज बंद हैं। श्रीलंका की सुरक्षा में तीनों सेनाएं तैनात की गई हैं। कोलंबो से आ रही सूचनाओं के अनुसार राष्ट्रीय कार्रवाई इकाई ने कई इलाकों में जांच और तलाशी अभियान चलाया हुआ है। प्रभावित इलाकों में सेना और पुलिस की जबरदस्त गश्त जारी है। श्रीलंका के गिरजाघर तथा होटल कड़ी सुरक्षा में लिए गए हैं। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है। सोशल मीडिया और मैसेजिंग सर्विस पर पाबंदी लगा दी गई है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने बम धमाकों पर गहरा शोक जताया है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। दी गई जानकारी के अनुसार श्रीलंका पुलिस ने देशभर में विस्फोटों के संबंध में करीब 13 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। श्रीलंका में तीन चर्च और पांच होटलों व जगहों पर ये धमाके हुए। कोलंबो में सैंट एंटनी चर्च, राजधानी के बाहर नेगोम्बो कस्बे के सेबेस्टियन चर्च, पूर्वी शहर में बाट्टिकालोआ के चर्च में ये धमाके हुए और द शांगरीला, द सिनामॉन ग्रैंड और द किग्सबरी होटल धमाकों का निशाना बनाए गए। श्रीलंका पुलिस अधिकारियों का कहना है कि श्रीलंका में सातवां और आठवां बम विस्फोट आत्मघाती था। श्रीलंका में लिट्टे के समूल नष्ट के बाद श्रीलंका की यह पहली सबसे बड़ी आतंकवादी घटना है, जिसने दुनिया को दहला दिया है। पूरी दुनिया इस समय श्रीलंका के साथ है और इस्लामिक आतंकवाद को खुला समर्थन देने वाले पाकिस्तान जैसे देश भी कह रहे हैं कि वे श्रीलंका और श्रीलंका की जनता के साथ हैं। रूस, अमेरिका, इंग्लैंड, चीन, जापान, फ्रांस, जर्मनी, भारत, नेपाल, न्यूज़ीलैंड और भूटान ने इस बम धमाके की जमकर मज़म्मत की है। यह हमला ऐसे समय पर हुआ है, जब दुनियाभर में प्रभु ईशु का जन्मोत्सव मनाया जा रहा था और प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि इसके पीछे इस्लामिक आतंकवादी ही हैं, जो न्यूज़ीलैंड में मस्ज़िद में गोलाबारी का बदला लिए हैं और साथ ही यह इस्लामिक आतंकवाद और ज़ेहाद से पूरी दुनिया को डराना चाहते हैं।
श्रीलंका ऐसा देश है, जिसने अपने विघटन के खिलाफ एलटीटीई के दशकों पुराने सशस्त्र संघर्ष को कुचलते हुए अपनी प्रभुता और अखंडता को सुनिश्चित किया है। यह कालखंड श्रीलंका के राष्ट्रपति महेंद्र राजपक्षे का था, जब उन्होंने एलटीटीई के प्रमुख और उस ज़माने के तमिल ईलम के सबसे शक्तिशाली सशस्त्र अलगाववादी वी प्रभाकरन और उसके पूरे नेटवर्क का खात्मा किया। श्रीलंका के एलटीटीई से सशस्त्र संघर्ष में श्रीलंका को अपने कई बड़े राजनेता, अधिकारी, सैनिक अधिकारी, सामाजिक नेता गवाने पड़े हैं। श्रीलंका में एक समय तो ऐसा आया कि जब कहा जाने लगा कि श्रीलंका अब तमिल ईलम राष्ट्र बनने वाला है और वी प्रभाकरन किसी भी समय श्रीलंका पर तमिल ईलम का झंडा फहरा सकते हैं। उस समय श्रीलंका की अपील पर भारत को श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ भारतीय सेना भेजनी पड़ी थी, जिसके फलस्वरूप लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या करा दी। इसके बाद श्रीलंका राष्ट्र के लोगों की एकजुटता यानी उनके राष्ट्रवाद के सामने वी प्रभाकरन टिक नहीं पाए और अंततः श्रीलंका की सेना के हाथों सहपरिवार मारे गए। माना जा रहा है कि श्रीलंका जैसे छोटे देश की इच्छाशक्ति के सामने जब वी प्रभाकरन नहीं टिक पाया तो उसके लिए ऐसे बम धमाके करने वालों से निपटना कोई मुश्किल काम नहीं है और जल्द ही इस बम धमाके का स्पष्ट रूपसे अनावरण होगा और धमाका करने वाले अपने अंजाम तक पहुंचेंगे।