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Tuesday 23 April 2019 03:02:33 PM
किंगदाओ/ नई दिल्ली। नौसेना की 70वीं वर्षगांठ पर भारतीय नौसेना के कोलकाता और शक्ति जहाज अंतर्राष्ट्रीय बेड़ा समीक्षा में भाग लेने के लिए चीन के तटीय शहर किंगदाओ बंदरगाह पर पहुंच गए हैं। भारतीय नौसेना के जहाजों के प्रवेश पर चीन ने 21 तोपों की सलामी दी। इन जहाजों का उत्तर समुद्री बेड़े के अधिकारियों ने भी स्वागत किया। इस अवसर पर नौसेना के बैंड ने अपनी प्रस्तुति दी। आईएफआर में भारतीय नौसेना की लगातार तीसरी बार यानी 2009 से भागीदारी रही है। यह दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाने और दोनों देशों के मध्य मित्रता को मजबूत बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन है।
भारतीय नौसेना ने आईएफआर के लिए अपने सबसे बेहतरीन जहाजों की तैनाती की है, जिसका उद्देश्य मौजूदा सहयोग को मजबूत करना, आपसी विश्वास को बढ़ाना, अंतरसक्रियता को बढ़ावा और भागीदारी नौसेनाओं की सामूहिक समुद्रीय चिंताओं को दूर करने के लिए बेहतर तालमेल स्थापित करना है। किंगदाओ बंदरगाह में प्रवास के दौरान निर्धारित गतिविधियों में नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की औपचारिक मुलाकात और प्रसिद्ध मई फोर्थ स्क्वॉयर में नौसेना बैंड का प्रदर्शन किया जाएगा। आईएफआरके विभिन्न कार्यों में उद्घाटन समारोह, योजना सम्मेलन और टेबल टॉप अभ्यास शामिल हैं। भारतीय नौसेना के जहाज नौसेना जहाजों की परेड में शामिल होंगे, जिसकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समीक्षा करेंगे। भारतीय नौसेना के जहाजों के कर्मी खेल आयोजनों, भागीदारी नौसेनाओं के साथ व्यावसायिक आदान-प्रदान और नौसेना कर्मियों एवं स्थानीय लोगों द्वारा जहाजों की यात्रा करने के कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिश्री नौसेना के अधिकारियों, आईएफआर में भाग ले रहे शिष्टमंडलों के लिए आईएनए कोलकाता में स्वागत समारोह की मेजबानी करेंगे। भारतीय नौसेना के कोलकाता और शक्ति जहाज ने किंगदाओ में प्रवेश करने से पहले पोर्ट कैम रान बे की सद्भावना यात्रा की थी। इनका पूर्वी बेड़े की विदेश तैनाती के एक हिस्से के रूपमें अपनी वापसी यात्रा के दौरान पोर्ट बुसान, दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की यात्रा करने का भी कार्यक्रम है। दक्षिण चीन सागर में वार्षिक विदेशी तैनाती भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है और भारतीय नौसेना का महासागरों के माध्यम से राष्ट्रों को एकजुट करने का प्रयास है, जिसके माध्यम से भारत पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ सांस्कृतिक आर्थिक और समुद्रीय बातचीत से मित्रता का विस्तार करना चाहता है।