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Tuesday 30 April 2019 02:08:03 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्रालय ने ‘जल संसाधन कार्यों में तकनीकी वस्त्र का उपयोग’ विषय पर दिल्ली में सेमिनार का आयोजन किया। गौरतलब है कि तकनीकी वस्त्रों को पूरी दुनिया में विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिनमें विकसित देशों के अलावा कई विकासशील देश भी शामिल हैं। भारत में अभी इसके तकनीकी, आर्थिक और पर्यावरण संबंधी लाभ उठाए जाने की स्थिति नहीं बनी है, क्योंकि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ और पर्यावरण क्षरण की समस्या अभी भी मौजूद है। कुछ इलाकों में बाढ़ प्रबंधन और नियंत्रण के लिए तकनीकी वस्त्रों से बने ट्यूब, कंटेनर और बैग इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है। सेमिनार में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग और व्यवहार पर चर्चा की गई।
गौरतलब है कि तकनीकी वस्त्र उन वस्त्रों को कहते हैं, जिनका निर्माण ऐसे उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिनके निर्माण में सौंदर्य गौण होता है और कार्य सम्पादन मुख्य मुद्दा होता है। यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है। तकनीकी वस्त्रों का बहुत से अन्य उद्योगों में उपयोग होता है। वाहनों में उपयोग में आने वाले वस्त्र, चिकित्सा में उपयोग किए जाने वाले वस्त्र, भू-वसन यानी तटबंधों की मजबूती के लिए, कृषिवसन यानी फसलों की सुरक्षा के लिए, सुरक्षा वस्त्र यानी ऊष्मा एवं विकिरण से सुरक्षा, अग्नि-सुरक्षा आदि तकनीकी वस्त्र के उदाहरण हैं। सेमिनार में केंद्रीय विभागों और राज्य सरकारों के अधिकारियों, जल संसाधन से संबंधित राज्यों, विभागों, संस्थानों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, संघों, मजदूर संघों, निर्माताओं और ठेकेदारों ने हिस्सा लिया। सेमिनार की अध्यक्षता सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष मसूद हुसैन ने की। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की अपर सचिव टी राजेश्वरी, सीडब्ल्यूसी के सदस्य एमके माथुर, सीएसएमआरएस के निदेशक एसएल गुप्ता और मंत्रालय के अनुसंधान एवं विकास प्रभाग के निदेशक अनुज कंवल भी सेमिनार में उपस्थित थे। इस अवसर पर सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष ने ‘प्रैक्टिस मैन्यूअल ऑन यूज ऑफ टैक्निकल टेक्सटाइल इन वॉटर रिसोर्सेज वर्क्स’ भी जारी किया।