स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 1 May 2019 02:22:07 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सार्वजनिक जीवन में जाति और धन की बढ़ती भूमिका पर चिंता जताते हुए कहा है कि मीडिया को विशेषकर चुनावों के दौरान जाति और समुदाय आधारित कवरेज से बचना चाहिए। नई दिल्ली में डॉ भीमराव आम्बेडकर सभागार में शिक्षा, उद्यमिता और नैतिकता विषय पर पहला डॉ राजाराम जयपुरिया स्मृति व्याख्यान देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को चरित्र, सामर्थ्य, क्षमता और आचरण के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करना चाहिए, लेकिन कुछ लोग जाति, धन, अपराध और समुदाय को अधिक महत्व देते हैं। उन्होंने मीडिया द्वारा प्रत्येक चुनाव क्षेत्र के जातिगत आंकड़ों पर ध्यान देने के उद्देश्य पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मीडिया को संसद और विधानसभा में जनप्रतिनिधियों के प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में गिरते मूल्यों पर कहा कि नेताओं में पार्टी छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, अब तो पार्टी बदलना एक फैशन बन गया है, कई नेता लोकतंत्र को मजाक बना रहे हैं। वेंकैया नायडू ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को कौशल विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए, इसके माध्यम से जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाया जा सकता है, सभी निजी संस्थानों को कौशल विकास केंद्रों का संचालन करना चाहिए, तकनीकी संस्थानों को उद्योग जगत के साथ मिलकर उनकी जरूरतों को समझना चाहिए और छात्रों को इससे अवगत कराना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि चीन, अमेरिका, यूरोप और जापान की तुलना में भारत एक युवा देश है तथा युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर हम वैश्विक प्रशिक्षित कार्यबल की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि भारत अपने को ज्ञान और नवोन्मेष हब के रूपमें स्थापित करे। वेंकैया नायडू ने कहा कि भारत आनेवाले 10-15 वर्ष में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। गैर-संक्रामक रोग से पीड़ितों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने युवाओं से कहा कि उन्हें जंक फूड नहीं खाना चाहिए, बल्कि एक संतुलित और पारंपरिक भोजन करना चाहिए। इस अवसर पर जयपुरिया शैक्षणिक संस्थान समूह के चैयरमेन शिशिर जयपुरिया, निदेशक एसके महापात्रा और शिक्षा एवं व्यापार जगत के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।