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देश के कई हिस्सों में पानी का बड़ा संकट

जल संबंधी मुद्दों की भारी उपेक्षा-जल संसाधन सचिव

औद्योगिक प्रदूषण से जल की गुणवत्ता भी खराब

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 4 May 2019 05:22:06 PM

water crisis in many parts of the country

नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण सचिव यूपी सिंह ने देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या के खबरों के बीच आम बातचीत और समाज में जल संबंधी मुद्दों को पर्याप्त स्थान न मिलने पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार और ऑटो मोबाइल सेक्टर में नई उन्नति की खबरें तुरंत सबके बीच आ जाती हैं, लेकिन पानी जोकि सभी प्रकार के जीवन का मुख्य स्रोत और हमारी अहम आवश्यकता है, अभी तक समाज के लिए विचार का विषय नहीं बना है। वे नई दिल्ली में वॉटर डाइजेस्ट के जल का नवीकरण, प्रकृति का नवीकरण-II के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में औद्योगिक, सरकारी क्षेत्र, विकास एजेंसी और संस्थानों के लगभग 150 से अधिक भागीदार शामिल हुए।
जल संसाधन संरक्षण सचिव यूपी सिंह ने कहा कि औद्योगिक प्रदूषण के कारण जल की गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है और हमारी सभी आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु जल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नई प्रौद्योगिकी का विकास करना होगा। सम्मेलन का आयोजन पानी और उससे जुड़े मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाने के लिए किया गया था। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र दीर्घकालीन विकास लक्ष्य के अनुरूप पानी के संरक्षण और प्रबंधन के श्रेष्ठ प्रक्रिया पर विचार और प्रदर्शन करने हेतु मंच प्रदान करना है। केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष मसूद हसन ने जल प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि इससे हमारी पेयजल, सिंचाई और औद्योगिक क्षेत्र के लिए आवश्यकता की पूर्ति होगी। उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत जल का प्रयोग कृषि कार्य के लिए हो रहा है और लघु सिंचाई, ड्रिप सिचांई के प्रयोग को बढ़ावा देकर हम जल के बेहतर प्रयोग को प्रोत्साहन दे सकते है।
जल आयोग के अध्यक्ष मसूद हसन ने कहा कि सिविल सोसायटी जल संकट के सभी पहलुओं को नहीं समझती और आम जनता को इस संबंध में जागरुक करने के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भू-जल के अत्याधिक प्रयोग पर नज़र रखने, नदियों के जल को जलाशयों में भेजने, लघु सिंचाई प्रौद्योगिकी और जल को उपयोग हेतु पुनः योग्य बनाने और पुनः प्रयोग करना समय की आवश्यकता है। एनएमसीजी के डीजी राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि हम वास्तव में नदियों की चिंता नहीं करते, जबकि हम जानते हैं कि हमारे अस्तित्व के लिए नदियां अतिआवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि हमेंनदियों के जलजंतु, जैव विविधता, पेड़-पौधों के संबंध में जागरुकता बढ़ानी होगी, ताकि यह घर-घर में बातचीत का विषय बन सके और हमें नदियों के संदर्भ में अधिक देखभाल की भूमिका निभा सकें।

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