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Thursday 21 March 2013 04:43:35 AM
नई दिल्ली। लोकसभा में बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) के सांसद पीएल पुनिया ने नियम-377 के तहत पेंशन, अंशदान विनियामक और विकास अधिकार बिल, 2011 में किये गए प्रावधानों को निरस्त करने की मांग की। पीएल पुनिया ने कहा कि इस बिल में किये गए प्रावधानों को लेकर कर्मचारियों में भारी आक्रोश है, जिसके चलते देश-भर में प्रबल विरोध प्रदर्शन, रैलियॉ और हड़तालें हो रही हैं। नए बिल के अनुसार वेतन, ग्रेड वेतन, मंहगाई भत्ते का 20 प्रतिशत काटकर उस धनराशि को शेयर बाजार में लगाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि यह बिल अभी लोकसभा में लंबित है। इस बिल के अनुसार सरकार यह तक कहने की स्थिति में नहीं है कि कर्मचारी को कितनी पेंशन मिलेगी और सरकार सेवानिवृत्ति के बाद रिटर्न भुगतान की कोई गारंटी भी नहीं दे रही है, केवल मार्केट के ऊपर ही इसे छोड़ा जा रहा है।
सांसद पीएल पुनिया ने कहा कि इस बिल में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण प्रावधान हैं, जिनका विरोध किया जा रहा है-जैसे पेंशन पूंजी की धनराशि शेयर मार्केट में निवेशित किया जाना तथा कर्मचारी को अपने सेवाकाल के दौरान किसी भी रूप में पैसा निकालने का अधिकार नहीं होना अर्थात आकस्मिकता के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि इस बिल में स्पष्टतया, कर्मचारियों द्वारा जमा धनराशि निजी कंपनियों के शेयर खरीदने में प्रयोग की जाएगी तथा इसके रिटर्न की गारंटी नहीं होगी, किंतु बाजार जोखिम पर निर्भर होगा। सेंसेक्स और निफ्टी में उतार-चढ़ाव के अनुसार कर्मचारियों की पेंशन पूंजी में हमेशा उतार-चढ़ाव का जोखिम बना रहेगा। सर्वविदित है कि आज पूरा विश्व मंदी की चपेट में है, अमेरिका की 40 से अधिक कंपनियां विघटित हो चुकी हैं, 100 से भी अधिक वर्ष पुराने बैंक दिवालिया हो गए हैं, क्या कर्मचारी बाजार के उतार-चढ़ाव को झेल पाएगा?
उन्होंने इस बिल के एक और पहलू की और सदन का ध्यान आकर्षित किया कि नई पेंशन योजना की घोषणा सरकार ने अगस्त 2003 में की थी, जो कभी भी संसद के समक्ष विचार करने हेतु प्रस्तुत नहीं की। सरकार ने संसद में बिल पास कराए बिना ही पेंशन निधि नियामक और विकास प्रधिकरण का गठन कर दिया, जो कि आज पूरे देश में काम कर रहा है और राज्य सरकारें उसके निर्देशों का भी पालन कर रही हैं, यदि सरकार ऐसा करने के लिए स्वयं अधिकृत है, तो इसे बिल के रूप में क्यों लाया जा रहा है? उन्होंने नई पेंशन व्यवस्था को खारिज करते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने के साथ-साथ देश और प्रदेशों के कर्मचारियों से अब तक काटी गई धनराशि जीपीएफ खाते में ब्याज सहित जमा कराने की मांग की।