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Monday 13 May 2019 03:15:07 PM
नई दिल्ली। बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली से जुड़े अहम मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा के लिए विश्व व्यापार संगठन की मंत्रिस्तरीय बैठक का उद्घाटन सत्र आज नई दिल्ली में शुरु हुआ। दो दिवसीय इस बैठक में विकासशील और बेहद कम विकसित देशेां के प्रतिनिधिमंडल हिस्सा ले रहे हैं। भारत सरकार के वाणिज्य सचिव डॉ अनूप वाधवन ने प्रतिनिधिमंडल में आए वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत करते हुए कहा कि बहुपक्षीय नियमों पर आधारित व्यापार प्रणाली के समक्ष मौजूद चुनौतियों की प्रमुख वजह एकपक्षीय उपायों और इसकी प्रतिक्रिया में उठाए गए कदमों, प्रमुख मुद्दों से जुड़ी वार्ताओं एवं अपीलीय निकायों में आनेवाला गतिरोध है। उन्होंने कहा कि यह विकासशील और कम विकसित देशों की सेहत के लिए यह कतई अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि अपीलीय निकाय में गतिरोध डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटारा प्रणाली तथा संगठन के कार्यनिष्पादन के लिए एक बड़ा खतरा है। डॉ अनूप वाधवन ने कहा कि बढ़ते संरक्षणवाद वाला मौजूदा वैश्विक आर्थिक वातावरण, व्यवस्था के मूल सिद्धांतों के लिए परीक्षा की घड़ी है।
डॉ अनूप वाधवन ने कहा कि अपीलीय निकाय की विफलता का असर कम विकसित और विकासशील देशों में अधिक महसूस किया जाएगा, जहां विकसित देशों की तुलना में नियम आधारित प्रणाली के संरक्षण की ज्यादा आवश्यकता है, ऐसे में इस प्रणाली को संरक्षित रखने और समस्या का रचनात्मक समाधान तलाशने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन की मौजूदा स्थिति के कारण उसमें नए सिरे से सुधार की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है, अब तक सुधार के लिए जिस एजेंडे को बढ़ावा दिया जा रहा था, उससे विकासशील देशों की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है, ऐसे में नई दिल्ली की बैठक सुधार एजेंडे में विकास के मुद्दे को केंद्र में रखने के संकल्प की फिर से पुष्टि किए जाने का अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सुधार की इन पहलों में समावेशिता और बिना भेदभाव वाले वातावरण को प्रोत्साहित करने, परस्पर विश्वास का निर्माण करने तथा मौजूदा समझौतों में विद्यमान असमानताओं और गंभीर विषमताओं को दूर करने के उपाय शामिल किए जाने चाहिएं, क्योंकि ये विषमताएं कम विकसित और विकासशील देशों के हितों और उनकी प्राथमिकताओं के विरुद्ध हैं।
भारत सरकार के वाणिज्य सचिव ने कहा कि बातचीत के एजेंडे में कम विकसित और विकासशील देशों की प्रमुख चिंताओं से जुड़े विषयों पर अबतक गंभीरता के साथ चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ में विकासशील विश्व का प्रतिनिधित्व करने वाले ज्यादातर देशों के लिए कृषि सब्सिडी बड़ी प्राथमिकता है, इस सोच और व्यवस्था को मौजूदा जनादेश के जरिए बदलने की मजबूत कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ में इस समय मत्स्य पालन सब्सिडी पर गहनता से बातचीत चल रही है, ताकि इस मुद्दे को बेहतर तरीके से समझा जा सके और दिसंबर 2019 तक इसपर एक सार्थक समझौता किया जा सके। उन्होंने कहा कि मत्स्य सब्सिडी पर एमसी 11 का निर्णय स्पष्ट रूपसे यह कहता है कि इस बारे में विकासशील देशों के लिए एक उचित और प्रभावी तथा विभेदक उपाय होने चाहिएं, कम विकसित देशों सहित विकासशील देशों के लिए भी यह जरूरी समझा जा रहा है कि वे मत्स्य सब्सिडी जो कि हमारे देश में मछुआरों की आजीविका और जमीनी वास्तविकताओं से गहरे से जुड़ी है पर एक निष्पक्ष और न्यायसंगत समझौते के लिए काम करें।
डॉ अनूप वाधवन ने कहा कि भारत सरकार का मानना है कि विकासशील देशों को डब्ल्यूटीओ के मूलभूत सिद्धांतों के संरक्षण के माध्यम से डब्ल्यूटीओ की वार्ता में अपने हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय बैठक भाग लेने वाले सदस्य देशों को विकासशील देशों की प्राथमिकता और हितों से जुड़े मुद्दों पर साझा डब्ल्यूटीओ सुधार प्रस्ताव विकसित करने का अवसर प्रदान कर रही है, यह विकसित और विकासशील देशों दोनों को उनसे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक साझा विचार विकसित करने में मदद करेगी। बैठक में जिन मुद्दों पर आगे चर्चा होने की संभावना है वो इस प्रकार है-अपीलीय निकाय में गतिरोध को समाप्त करने के लिए तत्काल उपाय। सुधार एजेंडे में बहुत कम विकसित और विकासशील देशों से जुड़े अहम और प्राथमिकता वाले मुद्दों पर चर्चा। विकासशील देशों से जुड़े अहम मुद्दों को बातचीत के एजेंडे में शामिल किये जाने के उपाय और कम विकसित देशों सहित सभी विकाशील देशों के लिए प्रभावी एस एंड डी सुनिश्चित करना। बैठक में शीर्ष अधिकारियों के बीच आज हुई वार्ताओं के आधार पर 14 मई को मंत्रिस्तरीय बातचीत होगी। यह दो दिवसीय बैठक डब्ल्यूटीओ में सुधार के एजेंडे में विकास को केंद्र में रखते हुए वार्ता को सकारात्मक रूपसे प्रभावित करने का विकासशील देशों का एक प्रभावी प्रयास है।