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'समस्‍याओं के अभिनव समाधान प्रस्‍तुत करें'

उपराष्ट्रपति का समाज विज्ञान के शोधार्थियों का आह्वान

सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की स्‍वर्ण जयंती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 14 May 2019 01:42:00 PM

vice president m. venkaiah naidu addressing

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सामाजिक विज्ञान शोधकर्ताओं का आह्वान किया है कि वे ऐसी समस्‍याओं के अभिनव समाधान प्रस्‍तुत करें, जिनका सामना पूरी दुनिया कर रही है, इन समस्‍याओं में गरीबी हटाने से लेकर सतत विकास के उपाय आदि शामिल हैं। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के स्‍वर्ण जयंती समारोह में उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि प्रत्‍येक अनुसंधान का उद्देश्‍य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान अनुसंधान अपूर्ण है, यदि शोधकर्ता ने लोगों के साथ समय व्‍यतीत नहीं किया है और क्षेत्रों में जाकर उनके जीवन को नहीं देखा है।
उपराष्‍ट्रपति ने सतत विकास की आवश्‍यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमें उन लोगों तक पहुंचना है, जहां सहायता प्रदान करने के लिए कोई नहीं पहुंचा है और उन लोगों को धन उपलब्‍ध कराना है, जिन्‍हें अबतक किसी एजेंसी से आर्थिक मदद नहीं मिली है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करना, लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल करने, गरीबी मिटाने, शहरी-ग्रामीण अंतर समाप्‍त करने और कृषि की चुनौतियों जैसे क्षेत्रों पर अभिनव और व्‍यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विभिन्‍न पाठ्यक्रमों और क्षेत्रों की सीमारेखा लगभग समाप्‍त हो गई है, आज के शोधार्थी केवल अपने क्षेत्र में सीमित नहीं रह सकते, उन्‍हें अन्‍य क्षेत्रों की भी मूलभूत समझ होनी चाहिए, उदाहरण के लिए स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और पर्यावरण को पृथक नहीं रखा जा सकता।
वेंकैया नायडू ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी, जेनेटिक इंजीनियरिंग, जैव विविधता, नए तत्‍व, सूक्ष्‍म मशीनें आदि उभरते क्षेत्रों के बारे में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान को नीति निर्माताओं के डेटाबेस को समृद्ध करना चाहिए तथा नीति क्रियांवयन के लिए साक्ष्‍य आधारित इनपुट देना चाहिए। उपराष्‍ट्रपति ने सामाजिक विज्ञानियों को सलाह देते हुए कहा कि उन्‍हें शोध के नए क्षेत्रों के बारे में विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्‍वीकरण के दौर में पूरा विश्‍व तेजी से बदल रहा है, इससे आपसी निर्भरता भी बढ़ रही है और कोई भी देश अलग रहकर आगे बढ़ने के बारे में नहीं सोच सकता, उदारीकरण, निजीकरण और वैश्‍वीकरण से नए अवसरों के साथ-साथ नई चुनौतियां भी सामने आई हैं। इस अवसर पर आईसीएसएसआर के चेयरमैन डॉ बीबी कुमार, आईसीएसएसआर के सदस्‍य सचिव प्रोफेसर वीके मल्‍होत्रा, शिक्षा जगत के प्रतिनिधि और सामाजिक विज्ञान शोधकर्ता उपस्थित थे।

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