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Tuesday 14 May 2019 04:52:03 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम तमिल यानी लिट्टे पर लगे प्रतिबंध की अवधि पांच साल और बढ़ा दी है। सरकार ने लिट्टे पर प्रतिबंध को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1967 (1967 का 37) की धारा 3 की उप धाराएं (1) और (3) के तहत इसे तुरंत प्रभाव से पांच साल और बढ़ा दिया है। सरकार की ओर से आज जारी अधिसूचना में कहा गया है कि लिट्टे की लगातार हिंसक और विघटनकारी गतिविधियां भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए नुकसानदेह हैं। लिट्टे का भारत के विरुद्ध लगातार कठोर रुख जारी है और लिट्टे से भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। यह एक तमिल उग्रवादी समूह कहलाता है।
गौरतलब है कि एलटीटीई (लिट्टे) एक तमिल अलगाववादी संगठन है, जो औपचारिक रूपसे श्रीलंका के उत्तरी श्रीलंका भूभाग में सक्रिय है। इसे विश्व में एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन के रूपमें भी जाना जाता है। लिट्टे श्रीलंका के उत्तरी और उत्तरपूर्वी क्षेत्रों में दो दशक से अधिक समय से हिंसक एवं सशस्त्र रूपसे सक्रिय था। लिट्टे की स्थापना वेलुपिल्लई प्रभाकरण ने की थी, जो भारत के तमिलनाडु प्रांत का रहने वाला था और श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महेंद्रराज पक्षे की सरकार में श्रीलंका सेना के साथ भीषण सशस्त्र संघर्ष में अपने हजारों सशस्त्र लड़ाकों के साथ मारा जा चुका है। लिट्टे पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में हत्या का भी आरोप सिद्ध हो चुका है। श्रीलंका के जाफना शहर में लिट्टे का दबदबा माना जाता है।
लिट्टे को एक समय दुनिया के सबसे ताकतवर गुरिल्ला लड़ाकों में गिना जाता था, इसपर श्रीलंकाई राष्ट्रपति प्रेमदासा रनसिंघे सहित और भी कई विशिष्ट राजनीतिज्ञों और सैन्याधिकारियों को मारने का आरोप है। भारत सहित कई देशों में यह एक प्रतिबंधित संगठन है। यह उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना चाहते था। एक समय ऐसा भी आया जब लिट्टे ने अपने स्वतंत्र तमिल राज्य की कल्पना में भारत के तमिलनाडु राज्य को भी शामिल किया, जिससे उसने भारत की जनता को भी अपने विरोध में कर लिया और तब लिट्टे का उसके अस्तित्व के लिए भारत के तमिलनाडु राज्य को मिलाकर स्वतंत्र तमिल ईलम राष्ट्र का सपना देखना घातक सिद्ध हुआ। लिट्टे प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण का हस्र यह हुआ है कि जब वह मारा गया तो कहते हैं कि श्रीलंका सेना के ज़िंदा हाथ लगे उसके बारह वर्षीय पुत्र को श्रीलंका सेना ने इसलिए मार गिराया कि ताकि वह आगे चलकर श्रीलंका के लिए वेलुपिल्लई प्रभाकरण जैसी समस्या न बन पाए।
लिट्टे एशिया का सबसे खतरनाक अलगाववादी संगठन रहा है, जिसने श्रीलंका में लंबे समय तक सशस्त्र संघर्ष किया। श्रीलंका सरकार और अलगाववादी गुट लिट्टे के बीच लगभग 25 साल तक चले भीषण गृहयुद्ध में दोनों ओर से बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और यह गृहयुद्ध द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हुआ है। लिट्टे की युद्ध नीतियों के कारण 32 देशों ने इसे आतंकवादी गुटों की श्रेणी में रखा हुआ है, जिनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ के बहुत से सदस्य राष्ट्र एवं और भी कई देश हैं। गौरतलब है कि लिट्टे ने 23 जुलाई 1983 में जाफना के बाहर श्रीलंका सेना टुकड़ी के परिवहन पर अपना पहला बड़ा हमला किया था, जिसमें 13 श्रीलंकाई सैनिक मारे गए थे, इसके बाद तमिलों के कई युवा उग्रवादी गुट लिट्टे में शामिल हुए, ताकि वे श्रीलंका सरकार से लड़ सकें। इसे श्रीलंका में तमिल उग्रवाद की शुरुआत माना जाता है।