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बिजनौर, (उप्र)। साहित्यकार डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल को हिंदी साहित्य सेवा के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने एक लाख रुपए का ‘साहित्य भूषण पुरस्कार’ देने की घोषणा की है। डॉ अग्रवाल और उनकी साहित्य सेवी पत्नी डॉ मीना अग्रवाल को अब तक हिंदी साहित्य सेवा के लिए कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।
डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल और उनकी पत्नी डॉ मीना अग्रवाल ने हिंदी साहित्यकारों में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उन्होंने हिंदी साहित्य और उससे जुडे़ विभिन्न विषयों पर अनगिनत किताबें लिखी हैं। केंद्रीय हिंदी निदेशालय का मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी उनकी पर्यावरण दशा और दिशा किताब पर एक लाख रुपए का शिक्षा पुरस्कार दे चुका है। इनके अलावा इस किताब की लेखिका डॉ मीना अग्रवाल और नश्तर खान काही को भी यह पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला है।
डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल को मानवाधिकार दशा और दिशा पुस्तक पर मानवाधिकार आयोग का प्रथम पुरस्कार मिला है। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कई और पुरस्कार भी इन्हें और इनकी पत्नी डॉ मीना अग्रवाल को मिले हैं। इनमें एक सूर पुरस्कार इनकी ‘आओ अतीत में चलें’ पुस्तक पर मिला है जो बाल साहित्य पुरस्कार है। यह पुस्तकमानव सभ्यता का इतिहास और बच्चों के लिए कहानी के रूप में है। इन्हें मिले प्रमुख पुरस्कारों में व्यंग्य पर भी दो नामित पुरस्कार हैं। इसी प्रकार डॉ मीना अग्रवाल के नाम भी हिंदी साहित्य सेवा के कई पुरस्कार हैं। इन दोनों को इसी साल फरवरी में हिंदी भवन दिल्ली में छठे अंतर्राष्ट्रीय हिंदी उत्सव में अक्षरम का युगल पुरस्कार मिला। पूरे विश्व से ऐसे यह दो युगल थे दूसरे युगल ब्रिटेन में अप्रवासी भारतीय डॉ महेंद्र वर्मा और डॉ ऊषा वर्मा हैं। बधाई!