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कानपुर। दुनिया मे सबसे ज्यादा युवाओं के भारत में राज्यों, नगरों, कस्बों और गांवों में गणतंत्र दिवस धूम-धाम से मनाया गया। युवाओं ने इसे कहीं-कहीं कुछ अलग तरीकों से मनाया। गणतंत्र दिवस पर देश की गंभीर समस्याओं का साया और उन पर रोष नज़र आया। खुशियां थीं तो गंभीर चिंताओं ने भी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल से लेकर आम आदमी तक ने भ्रष्टाचार पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया के साथ नाराजगी और निराशा प्रकट की। कानपुर में युवाओं के एक समूह ने जिसकी अगुवाई स्कूल-कॉलेजों की लड़कियां कर रही थीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ गणतंत्र दिवस पर मौन जुलूस निकाला। यह समूह सोशल नेटवर्किंग साइट 'फेसबुक' पर भी 'नो करप्शन' नाम से भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाए हुए है।
समूह में सभी युवा हैं और वे इस अभियान में सक्रिय रूप से शामिल हैं। आमतौर पर युवा तबके की ऐसे अभियानों में कम ही दिलचस्पी देखी गई है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ इस अभियान को देखकर लगता है कि युवा तबका भ्रष्टाचार और महंगाई के संभावित दुष्परिणामों तक पहुंच चुका है और इसे रोकने के लिए उसने सड़क एवं आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। कानपुर का युवा, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा हुआ है और कल ऐसी ही कुछ और आवाजे़ भी देश एवं प्रदेश के शहरों-कस्बों में उठती सुनाई देंगी।
गणतंत्र दिवस पर कानपुर में 'हेट करप्शन' टाइटिल से युवाओं के समूह ने मौन जुलूस निकाला। समूह की अध्यक्ष और मौन जुलूस की नेतृत्वकर्ता सबा यूनुस ने कहा कि इस जुलूस का उद्देश्य समाज में भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता पैदा करना और कुछ युवाओं को अपने साथ जोड़ना था ताकि इनके सहयोग से राज-समाज में भ्रष्टाचार को कम करने में सहायता मिले। जुलूस में करीब सौ युवाओं ने भागीदारी की जिनमें स्वयंप्रभा, सादिया, जे़बा, मनाली, प्रतीक्षा, आकांक्षा, शुभांगी, निष्ठा, शिवांगी, श्वेता प्रमुख हैं। जुलूस भारत माता प्रतिमा बड़ा चौराहा से शुरू हुआ। जुलूस में शामिल युवाओं के हाथों में पोस्टरों पर लिखा था-'हेट करप्शन', जुलूस फूलबाग में गांधी प्रतिमा पर आकर एक सभा के रूप में बदल गया जहां युवाओं ने भ्रष्टाचार पर गंभीरतापूर्वक मौन चिंतन किया। इस जुलूस की शहर में काफी चर्चा है और इसे युवाओं में जागरूकता के रूप में देखा गया है।
कैसे आकाश में सुराख नहीं हो सकता? एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों! विख्यात कवि और ग़ज़लकार दुष्यंत ने बहुत पहले शायद इन्हीं युवाओं के लिए ये पंक्तियां लिखी थीं। कानपुर में भ्रष्टाचार पर करारी चोट की यह गूंज उन हुक्मरानों, राजनेताओं और अवसरवादियों को भेदती हुई जरूर अपने मुकाम पर पहुंचेगी। बड़े-बड़े आंदोलनों और क्रांतियों ने इसी प्रकार जन्म लिया है। गाजियाबाद के आरूषि हत्याकांड से कुपित युवक उत्सव शर्मा के आरूषि के पिता डॉ राजेश तलवार पर बांके से हमले की वारदात को मान्यता तो नहीं दी जा सकती, लेकिन पुलिस के सामने उसका यह बयान अत्यंत गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है कि उसका उद्देश्य डॉ तलवार की हत्या करना नहीं बल्कि उन्हें घायल करके यह संदेश देना था कि जो कार्य पुलिस को करना चाहिए था वह उसे करना पड़ रहा है। ऐसा ही उसने हरियाणा के पुलिस अधिकारी राठौड़ पर हमला करके किया था। इससे युवाओं के भीतर व्यवस्था के गंभीर विकारों के खिलाफ पनप रहे आक्रोश और उसके गंभीर परिणामों को समझा जा सकता है।