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नई दिल्ली। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि अनुदान प्रणाली में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है। महिला एवं बाल विकास योजनाओं में सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के बीच सुधार लाने के लिए प्रभावकारी अनुदान राशि के प्रबंधन को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय विमर्श का उद्घाटन करने के पश्चात, स्वयंसेवी संगठन के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कृष्णा तीरथ ने यह बात कही। यह विमर्श राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान एनआईपीसीडी के चार क्षेत्रीय केंद्रों पर आयोजित किया गया है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा कि सूदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वयंसेवी संगठनों की गहरी पैंठ होने और पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने में उनके सामर्थ्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये संगठन जमीनी स्तर पर समस्याओं को सुलझानें में बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवी संगठनों की, जितनी अधिक संख्या होगी, तरक्की की रफ्तार उतनी ही अधिक होगी। ये सरकार की आंखें, कान और पैर हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के अतिरिक्त सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि एक सुदृढ़, पारदर्शी और प्रभावकारी अनुदान प्रबंधन प्रणाली को विकसित करने के लिए स्वयंसेवी संगठनों से सीधे तौर पर संवाद करना इस विमर्श का उद्देश्य है। देश के विभिन्न भागों से सरकार और स्वयंसेवी संगठनों के 80 प्रतिनिधियों ने इस विमर्श में भाग लिया। जहां सरकारी दखल मुश्किल है, वहां स्थानीय लोगों से अच्छे संबंध होने के कारण कुछ क्षेत्रों में महिला एवं बाल विकास की योजनाओं में नवीनता लाने और उन्हें लागू करने में सुधीर कुमार ने स्वयंसेवी संगठनों की सराहना की। उन्होंने नई तकनीकों को अपनाने के लिए विचाराधीन प्रस्तावों को भी जल्द ही पास करने का भी आश्वासन दिया।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर कई योजनाओं को चला रहा है। इस विमर्श के उद्देश्य वर्तमान ढांचे की समीक्षा, विभिन्न योजनाओं के तहत सहायता राशि की प्रक्रिया और प्रणाली की समीक्षा, गैर सरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों की सहायता राशि के संबंध में चुनौतियों और जटिलताओं की पहचान, विभिन्न स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही, समुदाय को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के बीच सहयोग के लिए प्रभावकारी अनुदान प्रबंधन प्रणाली को विकसित करने के लिए उपचारात्मक कदमों को सुझाना, विमर्श में पारदर्शी अनुदान प्रबंधन प्रणाली विकसित करने, अनुदान प्रस्तावों के लिए एकल खिड़की प्रणाली बनाने, समय पर अनुदान अनुरोधों के निपटारे के लिए बेहतर व्यवस्था और अनुदान प्रस्तावों के लिए ऑन-लाइन प्रबंधन की सिफारिशें की गई। राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान के चार प्रादेशिक केंद्रों-बेंगलूरू, गुवाहाटी, इंदौर और लखनऊ में साथ-साथ चल रहे क्षेत्रीय विमर्शों में करीब 300 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।