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उर्दू अकादमी की ग्रांट बढ़ाई गई-नसीमुद्दीन

'नयादौर' के 'इरफ़ान सिद्दीकी विशेषांक' का विमोचन

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नयादौर विमोचन-nayadaur released

लखनऊ। राज्य के वरिष्ठ मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सूचना भवन के प्रेक्षागृह में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की उर्दू मासिक पत्रिका 'नयादौर' के 'इरफ़ान सिद्दीकी विशेषांक' का विमोचन किया और इरफान सिद्दीकी को आधुनिक उर्दू ग़ज़ल का सितारा बताया। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने इरफान सिद्दीकी के उर्दू और उर्दू ग़ज़लों में योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि आधुनिक शायरी में उन्होंने एक नई आवाज़ दर्ज करायी, जिसे उर्दू के प्रगतिशील आंदोलन के बड़े-बड़े समालोचक भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सके। बदायूं में जन्मे इरफान सिद्दीकी ने उर्दू साहित्य को पांच खूबसूरत संग्रह दिए- कैन्वस, शबे दरमियां, सात समावात, इश्कनामा और हवाएं दस्ते मारिया कुल्लियात (समग्र) दरिया। इसके साथ ही संस्कृत के महान कवि कालिदास की नज़्म 'ऋतुसिंघार' और संस्कृत नाटक मालविका अग्निमित्र का उर्दू में अनुवाद किया। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने उर्दू की नवोदित प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में नया दौर के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने उर्दू अकादमी की ग्रांट बढ़ाकर तीन करोड़ रूपये कर दी है और साथ ही उर्दू अकादमी ने मौलाना आज़ाद के मशहूर अखबार अल हिलाल का पुनः प्रकाशन भी किया है।

विमोचन समारोह के विशिष्ट अतिथि और उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन लियाक़त अली खॉ ने कहा कि इरफान सिद्दीकी एक बेहतरीन शायर, अदीब, सहाफ़ी के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी थे। उन्होंने कहा कि ज़िंदा क़ौमें अपने अकाबिरीन को फरामोश नहीं करती हैं, सूचना विभाग ने इरफान सिद्दीकी की स्मृति में नयादौर का जो विशेषांक प्रकाशित किया है उसके लिये वह साधुवाद का पात्र है। समारोह की अध्यक्षता मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मोहम्मद जमील अख़्तर ने की। इरफान सिद्दीकी ने इंडियन इन्फार्मेशन सर्विस में रहते हुये आकाशवाणी और दूरदर्शन के महत्वपूर्ण पदों पर भी काम किया। वे भारतीय सेना में मेजर भी रह चुके थे।

इस मौके पर सूचना निदेशक अजय कुमार उपाध्याय ने कहा कि सूचना विभाग से निरंतर 64 वर्ष से प्रकाशित मासिक पत्रिका नया दौर, समय-समय पर विशेषांक प्रकाशित करती रही है, जिसमें अवध नंबर, जौहर नंबर, डायमंड जुबली नंबर, निस्फ़ सदी नंबर, मीर तक़ी मीर नंबर, 1857 नंबर, शक़ील बदायूनी नंबर और अब इरफान सिद्दीकी विशेषांक प्रकाशित कर इस परंपरा को जारी रखा है। उन्होंने नया दौर के संपादक डॉ वज़ाहत हुसैन रिज़वी और उनके सहयोगियों की प्रशंसा की। सूचना निदेशक ने सिद्दीकी की शायरी पर प्रकाश डालते हुये उनका यह शेर पेश किया- उठो, यह मंज़रे शबताब देखने के लिये कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए।

विमोचन समारोह में प्रख्यात कवि डॉ मलिक ज़ादा मंजूर अहमद ने आशा व्यक्त की कि सूचना विभाग के समय-समय पर प्रकाशित ऐसे विशेषांक आने वाली नस्लों के लिये उपयोगी सिद्ध होंगे और शोध छात्रों के लिये मार्गदर्शक बनेंगे। उन्होंने कहा कि इरफान सिद्दीकी शायर होने के साथ-साथ एक अच्छे पत्रकार भी थे और उन्होंने उर्दू रोज़नामा, सहाफ़त में प्रधान संपादक के पद पर लंबे समय तक काम किया। उन्होंने इरफान सिद्दीकी के गज़लों में कर्बला के प्रतीकों का सामयिक अर्थों में प्रयोग करने पर विशेष रूप से उल्लेख किया। अपर निदेशक सूचना रामदीन, विभागीय अधिकारी, कर्मचारी, पत्रकार, साहित्यकार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर मलिकजादा मंजूर अहमद ने किया।

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