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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्रियों के आंतरिक सुरक्षा संबंधी सम्मेलन के उद्घाटन करते हुए कहा है कि हमें वामपंथी उग्रवाद, सीमापार उग्रवाद और धार्मिक उन्माद आदि के प्रति सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन अपने देश की आंतरिक सुरक्षा की समीक्षा करने और सुरक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने के लिए संभावित नीतियों पर विचार-विमर्श करने का बहुत महत्वपूर्ण अवसर है।
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम और उनके दल को आंतरिक सुरक्षा के मामलों में उनकी सकारात्मक भूमिका के लिए बधाई दी। उन्होंने आंतरिक सुरक्षा स्थिर रखने के लिए भी मुख्यमंत्रियों को बधाई दी और साथ ही यह भी दावा किया कि वर्ष 2010 में वामपंथी उग्रवाद में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है और सुरक्षाकर्मियों के साथ कम दुर्घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड चिंता का विषय रहे हैं और ओड़ीशा और महाराष्ट्र में भी स्थिति गंभीर है।
प्रधानमंत्री की ये परस्पर विरोधी बातें इस सम्मेलन से बाहर निकलते ही मुद्दा भी बन गईं हैं। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय और राज्य बलों के बीच समन्वय कायम करने की आवश्यकता भी बताई। मनमोहन सिंह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से ग्रसित क्षेत्रों की स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए 60 चुने हुए पिछड़े जिलों के लिए एक एकीकृत कार्य योजना मंजूर की गई है। इन योजनाओं के अंतर्गत जिला स्तर समिति के अधिकारियों को पर्याप्त धन प्रदान किया गया है। जहां तक साम्प्रदायिक तनाव की बात है, हमें 2010 की स्थिति से संतुष्टि है। उन्होंने कहा कि मैं यहां यह उल्लेख करना चाहूंगा कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमे के निर्णय के अवसर पर देश में बहुत धैर्य रखा गया। पिछले वर्ष पुणे और वाराणसी को छोड़कर उग्रवादी आक्रमणों में अत्यधिक कमी आई है।
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि देश के उत्तर पूर्व जिलों में स्थिति में सुधार हुआ है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष हिंसा में कमी आई है। वर्ष 2010 की ग्रीष्म ऋतु में जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी के रूप में विरोध प्रदर्शन पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें नाहक ही कई लोगों की जाने गईं और 1500 सुरक्षा कर्मी भी घायल हुए। उन्होंने यह भी दावा किया कि आज कश्मीर हालात में सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में अपनी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को पूरा करने के लिए सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और एसएसबी की 23 बटालियनें तैयार की गई हैं। सरकार ने सुरक्षा बलों के आधुनिकीकरण के लिए 13वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। मुंबई में 26/11 के आक्रमण के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने सीमा पार से जाली मुद्रा के नेटवर्क और नये उग्रवादी ग्रुपों की गतिविधियों को उजागर किया है। ऐसे कार्यों के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर सामुदायिक पुलिस व्यवस्था के लिए दिशा निर्देश तैयार करने चाहिएं।
प्रधानमंत्री ने देश के पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहें। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे सामाजिक सुरक्षा के लिए बने पुरातन कानूनों और पुलिस प्रणाली से सुधार होना चाहिए, इसके लिए अनेक पुलिस आयोगों ने विभिन्न पुलिस सुधारों की सिफारिशें की हैं। उन्होंने राज्यों से इस विषय में गंभीरता से कार्य करने का आग्रह किया और कहा कि गृह मंत्रालय आने वाले वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में इस कार्रवाई को आगे बढ़ाए ताकि दिल्ली पुलिस दूसरे राज्यों के लिए आदर्श अनुकरणीय पुलिस बल बन सके।