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नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा है कि देश के नीति-निर्धारकों और शिक्षक वर्ग में भू-विज्ञान की प्रमुखता को कम करके आंका जाता है। एक समारोह में भू-विज्ञान सम्मान -2009 वितरित करने के बाद उन्होंने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि अध्ययन के अधिक से अधिक क्षेत्र में विभिन्न भूवैज्ञानिकी विषयों का मूल्यांकन किया जाता रहा है, चाहे भू-विज्ञान, भू-भौतिकी, भू-रासायनिकी या भू-जीवविज्ञान से ही क्यों न संबंधित रहे हों। अंसारी ने कहा कि इस क्षेत्र को और अधिक समय, वित्तीय और मानव संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिएं ताकि ऊर्जा, पर्यावरण परिवर्तन, जल और भू-संसाधनों, कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरीकरण, जल प्रबंध और ढांचागत सुविधाओं के विकास पर हमारी राष्ट्रीय नीतियों को भू-वैज्ञानिकों की वैज्ञानिक समझ-बूझ के साथ आवश्यक जानकारी उपलब्ध करायी जा सके। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि भू-विज्ञान सम्मान और भू-विज्ञान सलाहकार परिषद और भू-विज्ञान कांग्रेस की स्थापना की दिशा में सरकार के प्रयास सफल सिद्ध होंगे।