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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में राज्यों के मुख्य सचिवों के द्वितीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पिछला वर्ष हमारे लिए कठिनाइयों भरा था। उन्होंने कृषि वस्तुओं और पेट्रोलियम पदार्थों की मांग-आपूर्ति में असंतुलन के कारण कीमतों में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और आंतरिक सुरक्षा, कश्मीर घाटी और माओवादी हिंसा से सार्वजनिक जीवन में तनाव का जिक्र किया।
देश की अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने मुद्रास्फीति के प्रभाव और बढ़ती हुई कीमतों को रोकने के लिए सभी वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने पर तत्काल कार्रवाई करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को दुरुस्त बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की ओर से पर्याप्त सहायता दिए जाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने उग्रवाद, सीमा पर उग्रवाद के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करने पर बल दिया और कहा कि पुलिस बलों को सक्षम बनाने और कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, फिर भी केंद्र सरकार उनको धन उपलब्ध कराने में अपना योगदान दे रही है। भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे देश की प्रतिष्ठा पर आंच आती है और यह देश की तरक्की को रोकता है। भ्रष्टाचार की समस्या का सामना करने के लिए सुझाव देने के लिए उन्होंने कार्य दल का गठन करने का उल्लेख किया।
मनमोहन सिंह ने सरकार के सामाजिक कार्यक्रमों की सफलता के बारे में कहा कि इन कार्यक्रमों से गरीब जनता की क्रय शक्ति में वृद्धि हुई है। योजनाओं के कार्यान्वयन पर सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं, इसके लिए उन्होंने पंचायतों को अधिक अधिकार देकर विभिन्न सेवाओं में पूर्ण पारदर्शिता के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर बल दिया। अर्थव्यवस्था के संबंध में उनका कहना था कि हमें अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में रुकावट आ रही है, हमें बढ़िया सड़कें, बंदरगाह, बिजली, सिंचाई सुविधाओं की आवश्यकता है। उन्होंने मुख्य सचिवों से कहा कि वे इसके लिए साधन जुटाने का पता लगाएं। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और समाज के कमजोर वर्गों, महिलाओं आदि पर अभी भी अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने इस पर कार्रवाई करने और दोषियों को सज़ा देने की अपेक्षा की।