स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
लखनऊ। मीडिया सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वाधान में यूपी प्रेस क्लब में एक गोष्ठी हुई जिसमें वरिष्ठ कहानीकार डॉ सबीहा अनवर के दूसरे कहानी संग्रह 'ख़्वाब-दर-ख़्वाब' का विमोचन किया गया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश उर्दू फारसी अरबी विश्वविद्यालय के कुलपति अनीस अंसारी ने कहा कि उर्दू को उसकी असली लिपि के साथ पढ़ने वाला अपने ज्ञान को मालामाल करता है। दूरदर्शन केंद्र लखनऊ के निदेशक शशांक ने उर्दू के महत्व और मिठास पर रोशनी डाली और पत्रकार के विक्रम राव ने उर्दू कहानी को देवनागरी में अनुवाद करने पर जोर दिया। कुतुबउल्लाह ने कहानी में गांव और ग्रामीण पृष्ठभूमि को विषय वस्तु बनाने पर ज़ोर दिया। आबिद सुहैल ने कहा कि कहानी वह अच्छी है जो अपने को साबित करे, यानी पाठक के दिल में कोई सवाल न पैदा हो।
एसएमए काज़मी एडवोकेट ने कहा कि सबीहा अनवर की कहानी में सभ्यता की झलक साफ दिखाई देती है। दूरदर्शन के पूर्व निदेशक फैय्याज़ रफत ने कहा कि आज की कहानी कल से अच्छी हो रही है। अहमद इब्राहिम अलवी ने कहा कि आज कहानी लिखने के लिए कहानीकारों को समय नहीं मिल पा रहा है, ऐसे में कोई बड़े कारनामे की अपेक्षा करना वाजिब नहीं है। गोष्ठी में डॉ सबीहा अनवर ने अपनी कहानी भी पेश की। आरिफ जौनपुरी ने भी पेपर पढ़ा। गोष्ठी की अध्यक्षता जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर शारिब रूदौलवी ने की और संचालन डॉ अब्बास रज़ा ने किया। गोष्ठी के संयोजक आफाक़ आज़मी ने स्वागत भाषण पेश किया। मुहम्मद गुफरान नसीम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। गोष्ठी में बड़ी संख्या में उर्दू और हिंदी के दोस्तों के अलावा वकील, इंजीनियर्स, डॉक्टर आदि ने शिरकत की।